“अजनबी/Stranger”– YMPH DAILY CHALLENGE

15/04/2021 की प्रतियोगिता का विषय है “अजनबी/Stranger”। हमसे जुड़े हुए प्रतिभावान कवियों के कविताओं को पढ़िए । प्रेम, डर, और अंधकार ऐसे कई मायने होंगे जो कवियों के दिल को भावुक रखते है । ऐसी भावुकता का हम आदर करते है और उनकी भावनाओं को निपुण बनाना ही संकल्प है हमारा । हम हर रोज किसी न किसी विषय पर अपने व्हाट्सएप्प ग्रुप में Daily Challenge प्रतियोगिता के माध्यम से लेखकों तथा कवियों को उनकी बातों को कलम तक आने का मौका देते है । और जो सबसे अच्छा लिखते हैं । आप उनकी लेख इस पेज पर पढ़ रहे है

अगर आप भी एक कवि या कहानीकार है और अपनी रचना को पन्नो पर उतारना चाहते है तो हमारा व्हाट्सएप्प ग्रुप अभी जॉइन कीजिये ।

First

Savita Sawasia

अजनबी

दिल चाहता है जिसे,
कौन है वो ?
हाँ, एक अजनबी है ….

इंतज़ार है जिसका,
मुझे ज़िन्दगी में
कौन है वो ?
हाँ, एक अजनबी है….

आँखो में जिसके सपने हैं,
ख़्वाबों में जिसकी तस्वीर है
कौन है वो ?
हाँ, एक अजनबी है….

प्यार ही प्यार है
जिसके लिए
बाहों का हार है
जिसके लिए
कौन है वो ???
हाँ वही तो ,
जो एक अजनबी है…..

Second

Sweta Roy

अजनबी

अजनबी सा रिश्ता
जो बन गया मेरी जिंदगी
जिससे सीखा मैंने मुस्कुराना
वही है मेरे चेहरे की हँसी

अक्सर देखा था मैंने
अपनों को गैर बनते हुए
पहली बार देखा उस अजनबी को
अपनों से ज्यादा अपना बनते हुए
अक्सर जहाँ अपने भी साथ छोड़ जाते हैं बुरे वक़्त में
उस अजनबी को देखा मैंने हर कदम
पर मेरे साथ चलते हुए

पूरी दुनिया में सबसे अलग हैं वो
उसकी सादगी पर हम मर मिटे है
वो अजनबी सबसे प्यारा मेरा दोस्त है
सीखा है मैंने जीवन में उससे हर पल
मुस्कुराना वो मेरा हमसफ़र है

आज सोचती हूँ उसे आज अपना
हाल-ए-दिल बयां करूँ
इस अजनबी सी दोस्ती को आज
प्यार का नाम दूँ
अब वो अजनबी ही मेरी जीने की है वजह
उससे ही शुरू होती मेरी जिंदगी
वही मेरी खुशियों का कारवां
इस अजनबी से बेइंतिहा प्यार है मुझे
हर पल इस पागल दिल को बस उससे ही प्यार है ।

Insta ID-roys17924

Third

Khushi Tank

अजनबी से कोई जान बनता जा रहा था,
उस टूटी गुड़िया को कोई कारीगर तराश रहा था,
आँचल मे छुप कोई उजाला ढूंढ रहा था,
अजनबी से वास्ता जोड़ रहा था,
अपनी बेचैन कश्ती को कोई डूबने से बचा रहा था,
हर कदम संभाले रहा ढूंढ रहा था,
अजनबी से घबराहट छुपा रहा था,
मस्तिष्क की लकीरों को मुस्कुराहट का सहारा था,
शब्दों को चहरे से गुनगुनाना था,
हाथ थामे बस उस अजनबी को जानना था,
जिंदगी की डोर उसी से जोड़नी थी,
हाँ वो अजनबी से जान बनता जा रहा था,
हर सुख दुख उसी से बाँट सजाया प्रेम का धागा,
वो मेरे नाम का सिंदूर सजा बैठी हैं,
अब वो कोई अजनबी नहीं मेरी जान बन बैठी हैं|

Insta id- kia__2000

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