“उलझी हुई जिंदगी” / “Complicated Life”– YMPH DAILY CHALLENGE WINNERS POETRY

22/01/2021 की प्रतियोगिता का विषय है “उलझी हुई जिंदगी ” / “Complicated Life”। हमसे जुड़े हुए प्रतिभावान कवियों के कविताओं को पढ़िए । प्रेम, डर, और अंधकार ऐसे कई मायने होंगे जो कवियों के दिल को भावुक रखते है । ऐसी भावुकता का हम आदर करते है और उनकी भावनाओं को निपुण बनाना ही संकल्प है हमारा । हम हर रोज किसी न किसी विषय पर अपने व्हाट्सएप्प ग्रुप में Daily Challenge प्रतियोगिता के माध्यम से लेखकों तथा कवियों को उनकी बातों को कलम तक आने का मौका देते है । और जो सबसे अच्छा लिखते हैं । आप उनकी लेख इस पेज पर पढ़ रहे है

अगर आप भी एक कवि या कहानीकार है और अपनी रचना को पन्नो पर उतारना चाहते है तो हमारा व्हाट्सएप्प ग्रुप अभी जॉइन कीजिये ।

WINNING ENTRY NO 01

Priyanak Nigam

शाम की तरह हम ढ़लते जा रहे हैं,
बिना किसी मंजिल के हम चलते जा रहे हैं,
लम्हें जो सम्भाल के रखे थे जीने के लिए,
वो खर्च किये बिना ही मोम की तरह पिघले जा रहे हैं,
उलझी हुई जिंदगी को जिये जा रहे हैं..
फरवरी की धुंध की तरह बिखर गयी जिंदगी मेरी हवाओं में,
बचे हुए लम्हें रसोई के चूल्हें की तरह जलते जा रहे हैं,
जो मिल गया उसी का हाथ थाम लिया,
हम हमसफ़र बदलते जा रहे है
ऐ उलझी हुई जिंदगी हम तब भी तुझे जिये जा रहे हैं🖤
Instagram id- @Priyankanigam6

WINNING ENTRY NO 02

Shivangi Jain

वैसे तो इस ज़िन्दगी से मुझे ना कोई शिकवा ना कोई गिला
शुक्रिया अदा करती हूं जो इस ज़िन्दगी ने मुझे दिया

माना ज़िंदगी खुशी और गम दोनों देती है बेपनाह
लेकिन अब ज़िंदगी उलझ रही है उलझे धागों की तरह

मंजिलों पर पहुंचने के कुछ कदम पहले ये उलझ जाती है
देखा गया एक सुनहरा ख्वाब तोड़ जाती है

इस उलझी हुई ज़िंदगी का बन गया है हर एक पन्ना कोरा कागज
ए खुदा दिखा दे कोई रास्ता या फिर कर दे मुझे इस जिंदगी से आजाद

बेजान सा बना दिया है मुझे इस उलझी हुई ज़िंदगी ने
फिर भी एक सुकून सा मिलता है सिर्फ खुदा की बंदगी में
Ig – zindagi_gulzaar_hai1188

WINNING ENTRY NO 03

Zeenat

उलझी हुई ज़िन्दगी..

खुशियाँ हैं ज़िन्दगी में, पर दिल टूटा हुआ सा है..
हंस देते हैं हम कुछ मज़ाकिया बातों पे, पर मन रोया हुआ सा है..

कभी सही कभी गलत हर एक बात लगती है..
सही करने की चाह में रूह गलती हर बार करती है…

कौन अच्छा कौन बुरा, ये पहचान नहीं की जाती है..
किसपे भरोसा करूँ, ये बात समझ नहीं आती है…

अंधेरा और सवेरा दोनों में से किसी एक को चुना नहीं जा रहा है..
अँधेरे में जीने की आदत है मगर सवेरा अपनी तरफ बुला रहा है..

उलझी हुई ज़िन्दगी है, इसे जिए या छोड़ दे, ये बात परेशान करती है .
हर वक़्त हर एक पल में बस उलझने बढ़ती है ..
Ig-@al.fi7709