“बचपन/Childhood”– YMPH DAILY CHALLENGE

24/02/2021 की प्रतियोगिता का विषय है “बचपन/Childhood”। हमसे जुड़े हुए प्रतिभावान कवियों के कविताओं को पढ़िए । प्रेम, डर, और अंधकार ऐसे कई मायने होंगे जो कवियों के दिल को भावुक रखते है । ऐसी भावुकता का हम आदर करते है और उनकी भावनाओं को निपुण बनाना ही संकल्प है हमारा । हम हर रोज किसी न किसी विषय पर अपने व्हाट्सएप्प ग्रुप में Daily Challenge प्रतियोगिता के माध्यम से लेखकों तथा कवियों को उनकी बातों को कलम तक आने का मौका देते है । और जो सबसे अच्छा लिखते हैं । आप उनकी लेख इस पेज पर पढ़ रहे है

अगर आप भी एक कवि या कहानीकार है और अपनी रचना को पन्नो पर उतारना चाहते है तो हमारा व्हाट्सएप्प ग्रुप अभी जॉइन कीजिये ।

First

Disha Kedia

बस वो बचपन ही हैं

बचपन-
जहा कागज की नाव
तूफानों से लड़ जाती है
सुपरमैन कि कहानी में
सिंड्रेला भी घुस जाती है
जहा क्रिसमस पर सीधा डोरेमोन ही मांग लिया जाता हैं
जहा झूठ तो केह देते
पर फरेब से न कोई नाता है
ऐसा वो बचपन कहा लौट के आता हैं ।

जहा दर्द दिल मे चुभता नहीं
आँखों से बेह जाता हे
वहा सपनों पर पाबंदी कहा, कोई लगा पाता है
जहा सब कुछ कर जाने का जज़्बा होता हे
“लोग क्या कहेंगे”,”तुमसे नही होगा”
इन बातों से ना कोई वास्ता होता हैं
जहां पेट दर्द का इलाज
डॉक्टर से नहीं स्कूल की छुट्टी से होता है
ऐसा वो बचपन कहा लौटता हैं।

सचमुच मासूमियत का दर्पण ही है
बस वो बचपन है
बस वो बचपन ही हैं ।

Instagram-
@Khamoshiyonkibhasha

Second

Shabeena Khatoon

“बचपन”

कितना प्यारा था, वो बचपन…
जो फूलों की तरह रंगीन होता था,
तितलियों के मानिंद हसीन होता था,

कितना सुहाना था, वो बचपन…
मुस्कुराने के लिए, वजह की ज़रूरत नहीं होती थीं,
रोने के लिए, तन्हाई की ज़रूरत नहीं होती थीं ।
भले ही! उम्र कच्ची थी, लेकिन रिश्ते सच्चे होते थे ,
इस मतलबी दुनिया में सब अपने से लगते थे।।

कितना प्यारा था, वो बचपन…
जहां मिट्टी से दोस्ती थी,
खिलौनों की बस्ती थीं,
उस बस्ती में, अलग-सी मस्ती थीं ।

कितना सुहाना था, वो बचपन…
ऐ खुदा! लौटा दे मेरा, वो बचपन…
जहां वक्त तो कीमती होता था,
लेकिन वक्त की कीमत सस्ती होती थीं ।।

Instagram I’d:- @heaven_writes_2020

Third

The Unknown Girl

“बचपन”

सबसे कीमती पल जिंदगी का
पर जब वो पल भी अपना ना हो
दर-दर ठोकरें खाता बीता
जिसका बचपन हो
वो कैसे बुनेगा अपनी यादों की चादर
जिसका बचपन ही उससे छिन गया हो

दो रोटी खाने को
तरसती है जिनकी निगाहें
भूख भरी नींद की कड़वाहट चखी हो जिसने
क्या उनसे कभी किसी ने
कैसे बीता है उनका बचपन पूछने की हिम्मत करी है

वो सड़क किनारे रहते हैं
मौसमों से लड़ने का
उनके पास कोई ठिकाना नहीं
मुस्कुराएंगे वो कैसे
जब उनके बचपन में दर्द और बस दर्द ही भरा हो…!!

Insta- the_unknowngirl1408

Pragyan Paramita Patra

: I LOST MY CHILDHOOD


I lost my childhood …

I lost it
When I realised there is no place like hell and heaven in the world map ,
When I realised adults pretend to be sweet but keep a jar of sour in there heart ,
When I realised my opinions are different from others ,
When I realised people leave your hand when not required ,
When I realised the innocence in me has evaporated ,
When I realised human life is a prisoner of responsibilities ,

I lost my childhood
In a forgotten place
Where I can never rich .

I lost my childhood

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