28/02/2021 की प्रतियोगिता का विषय है “मेरा स्कूल/My School”। हमसे जुड़े हुए प्रतिभावान कवियों के कविताओं को पढ़िए । प्रेम, डर, और अंधकार ऐसे कई मायने होंगे जो कवियों के दिल को भावुक रखते है । ऐसी भावुकता का हम आदर करते है और उनकी भावनाओं को निपुण बनाना ही संकल्प है हमारा । हम हर रोज किसी न किसी विषय पर अपने व्हाट्सएप्प ग्रुप में Daily Challenge प्रतियोगिता के माध्यम से लेखकों तथा कवियों को उनकी बातों को कलम तक आने का मौका देते है । और जो सबसे अच्छा लिखते हैं । आप उनकी लेख इस पेज पर पढ़ रहे है
अगर आप भी एक कवि या कहानीकार है और अपनी रचना को पन्नो पर उतारना चाहते है तो हमारा व्हाट्सएप्प ग्रुप अभी जॉइन कीजिये ।
First
Shreya Sinha

स्कूल का वो time बहुत याद आता है,
जो कभी कभी मुझे बहुत रुलाता है,
आज भी गूजरुं school के पास से तो,
पुराना वक़्त फिर सामने आ जाता है,
वो रोज दोस्तों से मिलना, एक साथ बैठना, दुनिया भर की गप-शप करना,
वो classes attend करना, teacher की good books मे रहना,
ये सारी की सारी यादें बेहद तड़पाती हैं,
आज भी उस school dress मे किसी को देख के मुँह से निकल ही आता है,
ये मेरे school का है इससे मेरा कोई नाता है,
स्कूल का वो time बहुत याद आता है,
वो teachers का डाँटना, canteen से समोसे खाना, juniors पर seniors का हुकुम चलाना, bestie के साथ पूरे school मे घूमना और न जाने कितना कुछ,
इन सारी यादों को याद करके आसुं छुप नहीं पाता है,
चाहे न चाहे आखों से दरिया बह ही जाता है,
स्कूल का वो खूबसूरत वक़्त सच में बहुत याद आता है,
जो कभी कभी मुझे बहुत रुलाता है!
Second
Gunjan Kumari

School का वो नजारा़ बहुत ही प्यारा था
जहाँ सुबह- सवेरे school dress पहन कर स्कूल जाना
और वहाँ जाते ही classroom में अपना पसंदीदा bench
ढूंढना
कभी first bencher तो कभी last bencher बनना
और कभी तो पंखे के नीचे बैठने के लिए लड़ना
जहाँ best friend के आने का wait करना
और test होने पर स्कूल के लिए late करना
Recess होने पर एक – दूसरे का tiffin खाना
और पानी पीने के बहाने पूरे स्कूल का चक्कर लगाना
टीचर के सामने decent से बन जाना
और टीचर के जाते ही पूरा स्कूल सिर पर उठाना
सच में बहुत प्यारा था
जिसे दोबारा जीने का मन करे
वो मेरे स्कूल का नज़ारा था
Third
Muskan

मेरा स्कूल
कई साल बदले जिंदगी के,
कई यार बदले जिंदगी में।
कभी जानी – पहचानी ईमारते छुटी,
कभी अनजानी ईमारतो में घर सा बसेरा हुआ।
कभी नापसंद कर माँ की कहानियाँ,
हिंदी पढा़ने वाली की कहानियों में अपनी पसंद ढुंडा करते थे।
कभी कर रुख किताबो का दिवार की ओर,
कभी किसी नये आये मेहमान, तो कभी किसी पुरानी ही शिक्षक या शिक्षिका से अनगिनत ही गवाये है गाने हमने।
कभी गणित की किताब छिपा,
बस उस दिन के लिये, उस विषय से पिछा छुडा़ने की नाकाम सी कोशिश है करी,
तो कभी एक साथ झुंड बनाये,
अनगिनत ही दंड़ है अपनाये।
कई साल जिंदगी के बीत गये,
कुछ जाने अनजाने पाठ पढा़ कर।
कई यार जिंदगी के छुट गये,
कुछ खट्टे – मिठे यादें संजो कर।।
Ig- confused_yaara
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