22/03/2021 की प्रतियोगिता का विषय है “शाम धूमिल सी/Foggy Evening”। हमसे जुड़े हुए प्रतिभावान कवियों के कविताओं को पढ़िए । प्रेम, डर, और अंधकार ऐसे कई मायने होंगे जो कवियों के दिल को भावुक रखते है । ऐसी भावुकता का हम आदर करते है और उनकी भावनाओं को निपुण बनाना ही संकल्प है हमारा । हम हर रोज किसी न किसी विषय पर अपने व्हाट्सएप्प ग्रुप में Daily Challenge प्रतियोगिता के माध्यम से लेखकों तथा कवियों को उनकी बातों को कलम तक आने का मौका देते है । और जो सबसे अच्छा लिखते हैं । आप उनकी लेख इस पेज पर पढ़ रहे है
अगर आप भी एक कवि या कहानीकार है और अपनी रचना को पन्नो पर उतारना चाहते है तो हमारा व्हाट्सएप्प ग्रुप अभी जॉइन कीजिये ।
First
Anjali Soni
शाम धूमिल सी
आज मैं तितलियों-सी बहक रही
आसमां है कालीन-सा,शाम धूमिल-सी लग रही ।
बादल आया है जैसे,उम्मीदों के पंख लिए
ख़ुद को ख़ुशनुमा बना,संग ईद का चाँद लिए,
समां भी अब रंगीन बन गई
छटा इसकी निराली हो गई,
पवन के झोंके यूँ लहरा रहे हैं
मानो प्यार की धुन गा रहे हैं,
मन में कल्पित तरंगे उठ रही हैं
जीवन में कुछ करने की चाह जग रही है,
आज ज़िंदगी यूँ करवट बदल-सी रही
आसमां है कालीन-सा,शाम धूमिल सी लग रही।..
@nandini_9569
Second
Shraddha Rai
Foggy evening
That beautiful foggy evening,
depicts a wonderful meaning.
The wind is blowing,
and the leaves are falling.
Holding your hands,
having beautiful bands.
Satisfy my heart,
like the colours of a beautiful art.
It looks like a fantasy,
that shows the whole galaxy.
Want to capture everything,
as the nector sucked by a bee sting.
Insta ID : s_ilent_killer27
Third
Sweta Roy
शाम धूमिल सी
वो शाम धूमिल सी अपनी मद्धिम रोशनी खुद में समेटे
सूरज को कहती हो जैसे जा अपने घर मिलते हैं सवेरे
अंधकार और शाम धूमिल सी थी अपने खुमार में
चाँदनी रात इंतजार करती अंधेरे का जैसे आज की रात में
मद्धिम लालिमा आज प्रकाश बिखेरता नीले नभ पर
चहचहाती पंक्षी हँसी ठिठोली करते लौटते अपने आवास में
प्रकृति की यह छटा खुद में सौन्दर्य को बिखेरे
रात कहती हो जैसे कल निकलेगा हर्ष-उल्लास लिए नए सवेरे।
Insta Id-roys17924
Special Write-up
Savita Sawasia
शाम धूमिल सी….
सूरत उसकी है आब-ए-आईना सी
याद आई फिर एक बार वो शाम धूमिल सी…..
गर्द के ग़ुबार में हुआ था उसका दीदार
मग़र नज़र आई थी मुझे बस उसकी आँखे झुकी-झुकी सी,
उसकी ज़ुल्फों में भी सजी थी धूल सोने सी
याद आई फिर एक बार वो शाम धूमिल सी……..
सूरज की मद्धम रोशनी ने, बिखेरी अंजुमन में लालिमा
मेरे तसव्वुर को भी मिल गए अल्फ़ाज़, देख उसकी अरुणिमा
बेगानी थी वो मग़र लगी अपनों में शामिल सी
याद आ गई फिर एक बार वो शाम धूमिल सी…
Khushi Tank
Foggy evening, crepe nights.
Lonely days, hassle mornings.
Juggling words, erotic thoughts.
companionable heart, delirious soul.
All reminds me of you.
Tasty food,sweet memories.
Long walks, melodious songs.
Wind-driven bright, arms around.
Credible source, secret dairy.
All remind me of you.
Insta id – kia__2000
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