“सुनहरी याद/Golden Memory”– YMPH DAILY CHALLENGE

23/03/2021 की प्रतियोगिता का विषय है “सुनहरी याद/Golden Memory”। हमसे जुड़े हुए प्रतिभावान कवियों के कविताओं को पढ़िए । प्रेम, डर, और अंधकार ऐसे कई मायने होंगे जो कवियों के दिल को भावुक रखते है । ऐसी भावुकता का हम आदर करते है और उनकी भावनाओं को निपुण बनाना ही संकल्प है हमारा । हम हर रोज किसी न किसी विषय पर अपने व्हाट्सएप्प ग्रुप में Daily Challenge प्रतियोगिता के माध्यम से लेखकों तथा कवियों को उनकी बातों को कलम तक आने का मौका देते है । और जो सबसे अच्छा लिखते हैं । आप उनकी लेख इस पेज पर पढ़ रहे है

अगर आप भी एक कवि या कहानीकार है और अपनी रचना को पन्नो पर उतारना चाहते है तो हमारा व्हाट्सएप्प ग्रुप अभी जॉइन कीजिये ।

First

Savita Sawasia

सुनहरी याद

मेरे दिल ने की आज एक फरियाद
जो आ गई सामने मेरे बन कर सुनहरी याद ….

बचपन के दिनों के वो किस्से कहानियाँ
चंचल मन की वो नादानियाँ
अमराई की वो मन्द पवन
चिर परिचित से वो तरु-गण,
न था तब कोई दुख न संताप
कितनी मनोहर सी
वो सुनहरी याद…..

पंछियों के कलरव से होता नव प्रभात
सुसज्जित होती वसुधा जल तरंग के साथ
शीतल सन्ध्या में भ्रमरों का गुंजन
मधुर ध्वनि से तृप्त हो जाता मन,
अतीत के वो पन्ने आज हुए आबाद
बचपन के उन दिनों की
कितनी सुनहरी याद….

Second

Sara Tendulkar

Golden memory-

It all started with a diary.
I was using my energy
To think of a mystery
For my very first story

Dear Miss Reality,
What should I do of this cup of tea
Should I set this dragon free?
Or should I work on the vast blue sea?

Then suddenly, this gravity,
It pulled me into a triviality
Even though I wasn’t finding love
My heart set my insides like fire on a stove

I was just fourteen and this was something I didn’t mean
But he was such a dream
Right there in front of me.
He made me forget about the vast blue sea,
And I still tell everyone
How golden was that memory.

Third

Sweta Roy

सुनहरी याद
कुछ यादें आज भी याद आती है
बचपन के वो हसीन पल आज भी हमें सकुन दे जाते हैं
बचपन की उन गलियों में आज भी जैसे सुनहरी याद ताजा है
जिसको कोई भूलना भी चाहे तो नहीं
भूल पाता है
वक़्त को पीछे करके भी कहाँ हम वो पल जी पाएंगे
आज बड़े होकर भी हम बचपन को न
भूल पाएंगे
बचपन की कुछ अनोखी कहानी
जिन गलियों में बीती मेरी जवानी
उन गलियों को मैं भूल चुकी हूँ
शायद उन रास्तों से भी मुँह मोड़ चुकी हूँ
नई जगह है आज मेरा नया ठिकाना
पर आज भी जब मैं उन बचपन रास्तों से चलती हूँ
वो बचपन की सुनहरी याद को फिर से जी लेती हूँ।

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