02/04/2021 की प्रतियोगिता का विषय है “अ अति आत्मविश्वास/Over Confidence”। हमसे जुड़े हुए प्रतिभावान कवियों के कविताओं को पढ़िए । प्रेम, डर, और अंधकार ऐसे कई मायने होंगे जो कवियों के दिल को भावुक रखते है । ऐसी भावुकता का हम आदर करते है और उनकी भावनाओं को निपुण बनाना ही संकल्प है हमारा । हम हर रोज किसी न किसी विषय पर अपने व्हाट्सएप्प ग्रुप में Daily Challenge प्रतियोगिता के माध्यम से लेखकों तथा कवियों को उनकी बातों को कलम तक आने का मौका देते है । और जो सबसे अच्छा लिखते हैं । आप उनकी लेख इस पेज पर पढ़ रहे है
अगर आप भी एक कवि या कहानीकार है और अपनी रचना को पन्नो पर उतारना चाहते है तो हमारा व्हाट्सएप्प ग्रुप अभी जॉइन कीजिये ।
First
Sweta Roy
“अति आत्मविश्वास “
पापा को मरे हुए दो साल पूरे हो गए।
आज उनकी बरखी है। दो साल पहले
कितना खुशी का आलम था दशहरे का पर्व था घर में रौनक थी दीदी- जीजा जी घर आए थे।सभी घर में बेहद खुश थे पापा भी कितने खुश थे
उस दिन। अमित यही सोच रहा था और पापा की तस्वीर की तरफ देख रहा था कि उसकी आँखें भर आई।
वह दो साल पहले के बारे में सोचने लगा। जब अमित के पापा बीमार
पड़े डाॅक्टर के पास जाने पर पता चला कि उन्हें ब्लाडर कैंसर है। पूरे
परिवार में जैसे सन्नाटा छा गया ।हमेशा खुश रहने वाला पापा भी दुःखी रहने लगे। अमित ने अपने परिवार से बात कर अपने पापा को
कलकत्ता में दिखाने की सोची उसे
अति आत्मविश्वास था कि उसके पापा
कलकत्ता में ठीक हो जाऐंगे उसके
बहनोई ने उसे वहाँ दिखाने के लिए मना किया वो बोले इन्हे मुम्बई ले चलो वहाँ पापा ठीक हो जाऐंगे पर अमित नहीं सुना उनकी बातों को। वो
अपने पापा को कलकत्ता ले गया। हॉस्पीटल काफी बड़ा था वहाँ तमाम सुविधा थी उसके पापा में भी उम्मीद
जगी कि वह घर जल्दी वापस आएंगे
लौटकर।इलाज शुरू हुआ हर दिन खर्च बढ़ता गया डाॅक्टर ने बिना जाँच
किए तीन सर्जरी कर दी और स्थति जब खराब हो गई तो कह दिया हमें जो करना था कर दिया। धीरे-धीरे अमित के पापा ने दम तोड़ दिया।
आज भी अमित उस दिन को याद कर सहम जाता है जब अपने अति
आत्मविश्वास के वजह से उसने लोगों की बात नहीं मानी और अपने पापा को खो दिया। आत्मविश्वास जरूरी है
पर कभी -कभी अति आत्मविश्वास
हानिकारक होता है। हमें लोगों की
बातों पर भी ध्यान देना चाहिए। और
बिना जानकारी लिए किसी भी संस्थान में नहीं जाना चाहिए। आज
यदि अमित ने अपने बहनोई की बात
सुनी होती तो शायद उसके पापा जीवित होते।
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Second
Julekha Yasmin Ali
OVER CONFIDENCE:
Julie is a very confident girl from a small town.She does everything wholeheartedly.She always stands first in her class.She is loved by her elders and teachers.She is perfect in every aspect.She tops in every subject.She is good in extra curricular activities.She is good in dance,singing, painting, playing guitar,swimming,horse riding, writing poetry.She is a fitness freak girl.
She is a leader of her gang.She leads her class in every activities.Even the whole class love her and follow her instructions.
Once in her school,there was an interschool competition.Every member of the SAINTS XAVIER SCHOOL was concern about the competition.All the school faculties and students had a great dream of becoming first in the competition.
In this competition, the school principal choose Julie as the group leader.School teachers and principal had full confidence over Julie.So, Julie was imposed with all the responsibilities carefreely by her teachers and principal of the school.Julie also took all the responsibilities happily.Julie was also over confident of managing every activities.She was so confident that she imposed her duties to her junior fellow without taking permission from her teacher and principal.Julie also became carefree of her responsibilities.She did not look after the performance of her junior.
She was so over confident that she even didn’t practice for her own performance.
Finally,when the competition started none of the student was ready to perform in the stage.
Atlast,Saint Xavier’s school loose the competition.
This is how,over confidence of teachers and principal over Julie and over confidence of Julie over herself leads them to loosing the competition.
Julekha yashmin ali.
Third
Pooja Chaudhary
🌺अति आत्मविश्वास🌺
मैं और मेरी बचपन की दोस्त हम बचपन से एक साथ पढ़ते आए थे। बारहवीं कक्षा की बात हैं हमारी बोर्ड की परीक्षा नजदीक आ रही थी और हम सभी बड़ी मेहनत से उसकी तैयारी में लगे थे।
मैं और मेरी दोस्त जमकर खूब पढ़ाई किया करते थे हमारे क्लासेस के सर इस बात को लेकर हमारी तारीफ किया करते थे। जब क्लासेस में तैयारी की टेस्ट होने वाली थी तब मैने आत्मविश्वास के साथ कहा कि ये टेस्ट तो मैं काफी अच्छे से पास कर लूंगी,
और मैंने तैयारी करना छोड़ दिया ये सोचकर कि मुझे सब आता है अब मुझे तैयारी की आवश्यकता नहीं है। लेकिन दूसरी ओर मेरी दोस्त तब भी उसी जोर शोर से तैयारी में लगी थी। वह मुझे भी कहती थी की तू इतने ज्यादा आत्मविश्वास में मत रह और तैयारी जारी रख लेकिन मैंने उसकी बातों पर ध्यान नहीं दिया।
टेस्ट के दिन जब मैंने सवाल देखे तो मुझे आधे सवाल के जवाब नहीं आ रहे थे और मेरी दोस्त को सब कुछ आ रहा था।
उस समय मुझे काफी कुछ एहसास हुआ और मैंने एक बात यह सीखी की इंसान को खुद में आत्मविश्वास रखना चाहिए लेकिन जरूरत से ज्यादा आत्मविश्वास इंसान का नुकसान ही करती हैं।
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