22/12/2020 की प्रतियोगिता का विषय है “कुछ छूट रहा है” / “Something left behind”। हमसे जुड़े हुए प्रतिभावान कवियों के कविताओं को पढ़िए । प्रेम, डर, और अंधकार ऐसे कई मायने होंगे जो कवियों के दिल को भावुक रखते है । ऐसी भावुकता का हम आदर करते है और उनकी भावनाओं को निपुण बनाना ही संकल्प है हमारा । हम हर रोज किसी न किसी विषय पर अपने व्हाट्सएप्प ग्रुप में Daily Challenge प्रतियोगिता के माध्यम से लेखकों तथा कवियों को उनकी बातों को कलम तक आने का मौका देते है । और जो सबसे अच्छा लिखते हैं । आप उनकी लेख इस पेज पर पढ़ रहे है| अगर आप भी एक कवि या कहानीकार है और अपनी रचना को पन्नो पर उतारना चाहते है तो हमारा व्हाट्सएप्प ग्रुप अभी जॉइन कीजिये ।
“कुछ छूट रहा है” / “Something left behind”
Today’s Winners
First
Written by Anjali Soni
💞कुछ छूट रहा है 💞
तेरे मेरे दरमियां
कुछ टूट रहा है,
कैसे यकीन दिला दूं तुम्हें
कि कुछ छूट रहा है,
तेरे मेरे बिताए वह हसीन पल
कुछ नगमे फसाने प्यार के,
कुछ कही – अनकही बातें
वो रूठने मनाने के बहाने,
दिल किसी को ढूंढ रहा है ,
कैसे यकीन दिला दूं तुम्हें
कि कुछ छूट रहा है
वह बारिश की मस्ती
हसती खेलती थी हमारी हस्ती ,
ऐसी करवट बदल ली समय ने
छीन ली उसने हमारी दुनिया हंसती ,
पता नहीं क्यों दिल डूब रहा है
कैसे यकीन दिला दूं
तुम्हें कुछ छूट रहा है
तुम मानो या ना मानो
कुछ छूट रहा है…
Instagram-@nandini_9569
Written By Shreshth Lata Sahu
Share , we used to share
Those eyes were not flicker
You were like an ocean
I dived in every day
Who says time has no impact
It fades, it runs, it erase
My tears from my face
My heart Is still bleeding
But not on my face
Hate, I hate those moments now
Why we have faith
Like, we moved on,
Now it’s been so long
Your hands in my hands now it’s been a dream of my eyes
Nice, we were nice
But I felt that we have something left behind
Might be laughing,
Might be fighting together
Might be eating,
Might be sleeping together
Might be weeping,
Might be smiling together
We are together but as not we were together
Insta I’d- @Kill3rheartshreshth
Second
Written By Sumitra Nayak
कभी कभी ऐसा महसूस होता है ,
सब कुछ होते हुए भी कुछ खाली सा लगता है ।
धन , दौलत , ऐशो , आराम सब तो पास है ,
फिर भी ना जाने क्यों किस चीज की आस है ।
अक्सर निकल पड़ती हूँ एक अनजान से डगर में,
चलते चलते फस जाती हूँ ना जाने किस भबर में ।
एक पल में लगता है, मेरी दुनिया खुशियों से भर गया,
बस इतना ही चाहिए था, जो अब मुझे मिलगया ।
दूसरे पल में लगता है जैसे दिल में कुछ चुभ रहा है,
दिल उदास है, जैसे कुछ डूब रहा है ।
कभी – कभी यह दिल भी ना भारी- भारी सा हो जाता है,
मन की खुसी ओर होठों की हँसी दोनों ही खो जाता है ।
अकसर ऐसा लगता है के फूट – फूट के रोलूँ,
अपनी भारी से मन को कुछ हलका सा करलूँ ।
फिर सोचती हूँ , रोके खुद को कमजोर ना पाऊँ,
दर्द की वह गहराई में खुद ही ना डूब जाऊँ ।
गुस्सा तो बोहोत है आती यह खामोशी भी बोहोत है काटती ,
आँखों में आसूँ लिए यह होठ भी है मुस्कुराती ।
आपने आप में जूझ रही हूँ, ना जाने किस से लढ़ रही हूँ ,
शायद कुछ छूट रहा , मन ही मन में घुट रही हूँ ।
Insta : sumitranayak86
Written by Zeenat
Something left behind..
I am walking on a path
Where I can’t take a step back
The path is so strange
Ya, adventurous but a weird track
I am just walking
Smiling with a curiosity
I am enjoying this route
And far away, I find some atrocity
But all ok,
I want to go forward
But finding something missing
Something in the heart that pains so hard
I looked back,
Finding moments present for me
I want to go back,
But there is no option, I see
Something left behind
Behind my every forward step
I feel that something is not with me
That I have to kept….
Insta id-@al.fi7709
Third
Written By Navneet Singh Chandrawanshi
चलो अब विदा लेते हैं ..
अपने-तुम्हारे रास्ते ,
यूं बार-बार मुख क्युं मोड़ रहे ,
क्या अंदर कुछ टूट रहा है ,
क्या कुछ छूट रहा है ..!
सब कुछ तो कह लिया ,
आनन से अपने ,
अब ये आँखों का मोती क्युं फूट रहा है,
क्या कुछ छूट रहा है ..!
जल्द ही हम साथ होंगे ,
सम्भालो अपने हृदय को ,
देखो यह मेरे उर को घड़ी-घड़ी लूट रहा है ,
क्या कुछ छूट रहा है ..!
इतना कोमल हिय भी अच्छा नहीं ,
तनिक तो कठोर बनो ,
जानते हुए भी की प्रणय हमारा अटूट रहा है ,
कैसे कुछ छूट रहा है ..?
Insta id-@nav_singh01627
Special Write-up
Written by Avijit Basu Roy
Something Left Behind
I often re-remember the black, uncouthly large and heavy,
Wired telephone set, kept under lock and key,
At the local post office,
The one that almost always cackled and buzzed aloud,
In middle of our conversations.
Its devotees were often a perpetual sea of humanity,
In a meandering queue, eagerly awaiting for their turns,
It all seems like a dream today,
The whole world has now shrunk into my smart phone,
Yet, I do miss those days, left behind,
What’s hard to get would always be priceless,
Easy access, spoils all the charms.
Insta id-bravijit@khamkhyali
Comments are closed.