10/04/2021 की प्रतियोगिता का विषय है “ज्योति/Flame”। हमसे जुड़े हुए प्रतिभावान कवियों के कविताओं को पढ़िए । प्रेम, डर, और अंधकार ऐसे कई मायने होंगे जो कवियों के दिल को भावुक रखते है । ऐसी भावुकता का हम आदर करते है और उनकी भावनाओं को निपुण बनाना ही संकल्प है हमारा । हम हर रोज किसी न किसी विषय पर अपने व्हाट्सएप्प ग्रुप में Daily Challenge प्रतियोगिता के माध्यम से लेखकों तथा कवियों को उनकी बातों को कलम तक आने का मौका देते है । और जो सबसे अच्छा लिखते हैं । आप उनकी लेख इस पेज पर पढ़ रहे है
अगर आप भी एक कवि या कहानीकार है और अपनी रचना को पन्नो पर उतारना चाहते है तो हमारा व्हाट्सएप्प ग्रुप अभी जॉइन कीजिये ।
First
Anjali Soni
ज्योति
आओ ज्ञान की ज्योति जलाएँ
अपने आपको पावन बनाएँ,
आओ हम सब ज्योति जगाएँ ।
चारों ओर अज्ञान का अंधेरा
चहुँदिश फैली अत्याचार की माया,
जरूरत है ज्ञान रूपी दिये की
जिसमें प्रज्ञानं ज्योति रूप समाया,
आओ जग में जागरुकता लाएँ,
आओ हम सब ज्योति जलाएँ ।
भगवान भी हैं ज्योति रूप
निराकार,निर्विकार,शक्ति स्वरूप,
कर निरंतर अरदास वो बीज भी
ले लेता है झाड़ का रूप,
आओ उस शक्ति के शीश नवाएँ,
आओ हम सब ज्योति जलाएँ ।
है तम् अँधेरा कुरीतियों का
सृष्टि रूढ़ियों से जूझ रही,
करे आह्वान उस अग्नि का
प्रज्ज्वलित कर दे जो सारी सृष्टि,
इस विविधता भरे विश्व में
आओ सब मिलकर एकता लाएँ,
आओ हम सब ज्योति जलाएँ ।
@nandini_9569
Second
Sara Tendulkar
Flame-
You seriously need to thank god,
For he has given you that flame in your eyes,
And you’ll start to applaud,
When you realize how fast it can burn a big cube of ice.
This flame is full of passion,
And it can’t be extinguished,
It will force you to get to action,
‘Cause our aim is to not get relinquished.
Trust me, this unstoppable flame,
Will show you your potential,
You may lose or win the game,
But you’ll learn, ‘cause that’s essential.
You wouldn’t need a song for motivation,
You wouldn’t need anyone to push you to work,
Because you’ve mastered the art to get over your procrastination,
You very well know your framework.
Let your eyes smoke,
And make yourself look bizarre,
You’ll soon make your stroke,
And your dream will make you a star.
Third
Savita Sawasia
ज्योति
पूनम की रात में
चंदा के साथ में
चहुँ ओर बिखेरने को रोशनी
इठलाती हुई आई ज्योत्स्ना,
बनकर दीवानी…..
अंधकार युक्त राहों में,
ज्योति-पुंज ने किया दूर अंधेरा
आलोक की उत्पत्ति से
फैला जग में उजियारा….
है मिसाल,
चंदा और चांदनी का यह साथ
ज्योति बिखेरते दोनों,
एक दूजे का थाम कर हाथ
मधु-ऋतु में कुहूकिनी,
करती प्रेम-आलाप
चांदनी की धवल आभा,
हरती सब संताप…..
चंदा की चांदनी,
ज्यूँ बनकर ज्योति
फैलाती है प्रकाश
मेरी लेखनी भी,
जगमगाती है बनकर मोती
काव्य के आकाश……
(Savi d shining star)
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