05/01/2021 की प्रतियोगिता का विषय है दस्तक/Doorstep। हमसे जुड़े हुए प्रतिभावान कवियों के कविताओं को पढ़िए । प्रेम, डर, और अंधकार ऐसे कई मायने होंगे जो कवियों के दिल को भावुक रखते है । ऐसी भावुकता का हम आदर करते है और उनकी भावनाओं को निपुण बनाना ही संकल्प है हमारा । हम हर रोज किसी न किसी विषय पर अपने व्हाट्सएप्प ग्रुप में Daily Challenge प्रतियोगिता के माध्यम से लेखकों तथा कवियों को उनकी बातों को कलम तक आने का मौका देते है । और जो सबसे अच्छा लिखते हैं । आप उनकी लेख इस पेज पर पढ़ रहे है
अगर आप भी एक कवि या कहानीकार है और अपनी रचना को पन्नो पर उतारना चाहते है तो हमारा व्हाट्सएप्प ग्रुप अभी जॉइन कीजिये ।
Special Write-up
Nav Chandravanshi
जब उस ब्राह्मण के जैसे बार बार मस्तक देंगे ,
यकीनन वहाँ राम तुम्हें तारने दस्तक देंगे l
जब तुम्हारा मन कभी भ्रमित आतातायी होगा ,
तुम बनना हे पार्थ!
यथार्थ वहाँ नई भोर देने चतुर्भुजी कन्हाई होगा l
जब भी तुम्हारे प्रण डागमडोल होंगे ,
तपस्वी होना तुम उमा सी ,
निश्चित ही छटेंगे काल जो वहाँ डम-डम के बोल होंगे l
नतमस्तक हैं राम!
दस्तक दो राम !
Ig-@nav_singh01627
Shivendra Pratap Singh
समय वो थम सा गया था,जब,
हुस्न का तेरे दीदार हुआ,
जुबां खामोश रह गई थी उस पल मेरी,
मगर नज़रों से बेशक इजहार हुआ,
रंग रंग में बस चुकी थी तुम ख्वाइश बनकर,
जैसे जर्रे जर्रे को बस तेरा ही दरकार हुआ,
दस्तक दे गई थी मुस्कुराहट तेरी,
मेरी जिंदगी के कोरें पन्नों पर,
समय वो थम सा गया था जब,
मुझको मोहब्बत तुमसे बेशुमार हुआ,
Ig-@shivasinghksh
Avijit Basu Roy
Doorstep
The piper still plays his uncanny tune,
When the murky moon peeps,
Through the dancing cedars,
The misty, gray mountains,
Like tall, unmoving sentinels, watch over.
A strange breeze blows, through the valley,
Playing flute, with pine leaves,
Unseen footsteps approaches,
Stop at the doorsteps,
Then, without knocking, retreat.
Ig-bravijit@khamkhyali
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