14/01/2021 की प्रतियोगिता का विषय है मकरसंक्रांति/Makarsankranti। हमसे जुड़े हुए प्रतिभावान कवियों के कविताओं को पढ़िए । प्रेम, डर, और अंधकार ऐसे कई मायने होंगे जो कवियों के दिल को भावुक रखते है । ऐसी भावुकता का हम आदर करते है और उनकी भावनाओं को निपुण बनाना ही संकल्प है हमारा । हम हर रोज किसी न किसी विषय पर अपने व्हाट्सएप्प ग्रुप में Daily Challenge प्रतियोगिता के माध्यम से लेखकों तथा कवियों को उनकी बातों को कलम तक आने का मौका देते है । और जो सबसे अच्छा लिखते हैं । आप उनकी लेख इस पेज पर पढ़ रहे है
अगर आप भी एक कवि या कहानीकार है और अपनी रचना को पन्नो पर उतारना चाहते है तो हमारा व्हाट्सएप्प ग्रुप अभी जॉइन कीजिये ।
First

Muskan
कई भाषाओ मे जाना जाता है,
अलग- अलग राज्यों मे,
कई तरीको से मनाया जाता है।
हर साल इससे मुलाकात का दिन तय है,
और हर साल उन पकवानो की सूची
और, उन पुराने खेलो का तरिका
भी हमेशा से तय है।
पर जो कभी किलो मे बनती थी मिठाईयाँ,
अब बस ग्राम भर से ही काम चल जाता है।
जो कभी भीड़ जमा होती थी
उन पतंगबाजी प्रतियोगीताओ की,
अब बस चंद लोगो से ही हाल – मुलाकात
मे त्यौहार खत्म हो जाता है।
पुराने जैसा कुछ रहा नही अब,
ना उन मिठाईयों का वो स्वाद,
ना छतों पर एक- दुसरे की
पतंग काटते वो यारो का झुंड़।
पर ये त्यौहार अब भी है,
और हर साल इसके आने का
दिन तय, अब भी है।।
Second

Avijit Basu Roy
Makarsnkranti
Braving the chill,
Braving the drizzle,
Up on the terrace,
Trying to find a spot,
In a sky already smeared with spots,
My friends look at me in utter dismay,
Trying to retrieve kites at this age?
Well, that’s pretty weird, isn’t that?
How do I explain to them,
I am not after kites, I’m just trying to retrieve childhood.
Ig- bravijit@khamkhyali
Third

Priyanka Nigam
सर्दियों को अलविदा कहने की धूम,
अब तुम्हारा साथ ही त्यौहार जैसा लगता हैं,
सूरज भी अब मकर राशि में दाखिल होकर,
मकरसंक्रांति के आने की दी खबर ईटो के शहर में,
आज बहुत याद आया अपना घर,
मायके की वो सौंधी सी सुबह,माँ के हाथ से गुड़ और तिल के लड्डू,
आज बहुत याद आये,
गंगा स्नान और खिचड़ी का वो स्वाद,
रंगीन पतंगों से भरा आसमान
आज मुझे मेरा घर बहुत याद आया।।
Ig-Priyankanigam6
Special Write-up

Shivendra Pratap Singh
हवाओं ने ली ये कैसी अंगड़ाई,
आसमां में पतंग उड़ाकर है जब से आई,
इधर भगाया उधर भगाया,
एक दूजे को आपस में उलझा डाला,
कटी डोर किसी के हाथों की तो,
किसी को एकदम से खुश कर डाला,
रंग बिरंगे तितली सा देखो कैसे,
पतंगों ने आसमां को रंग डाला,
Ig-@shivasinghksh
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