“मजदूर/Labour”– YMPH DAILY CHALLENGE

03/05/2021 की प्रतियोगिता का विषय है “मजदूर/Labour”। हमसे जुड़े हुए प्रतिभावान कवियों के कविताओं को पढ़िए । प्रेम, डर, और अंधकार ऐसे कई मायने होंगे जो कवियों के दिल को भावुक रखते है । ऐसी भावुकता का हम आदर करते है और उनकी भावनाओं को निपुण बनाना ही संकल्प है हमारा । हम हर रोज किसी न किसी विषय पर अपने व्हाट्सएप्प ग्रुप में Daily Challenge प्रतियोगिता के माध्यम से लेखकों तथा कवियों को उनकी बातों को कलम तक आने का मौका देते है । और जो सबसे अच्छा लिखते हैं । आप उनकी लेख इस पेज पर पढ़ रहे है

अगर आप भी एक कवि या कहानीकार है और अपनी रचना को पन्नो पर उतारना चाहते है तो हमारा व्हाट्सएप्प ग्रुप अभी जॉइन कीजिये ।

First

The Unknown Girl

“मजदूर”

दो पैसा कमाता हूं पर किसी की कमाई चुराता नहीं
हर मकान कच्चे रह जाते अगर मैं ईटें बिछाता नहीं,,
बीमारी से ज्यादा भूखे पेट सोने का डर लगे हमें मजदूर की जिंदगी जीना भी कोई आसान काम कहलाता नहीं…!!

The unknown girl 🖤
Insta-the_unknowngirl1408

Second

Anurag Yadav

मजदूर

था खुश मै भी अपनी रोज़ रोज़ की कमाई से
दिन रात काम करता खुदा की दुहाई से
गलती कहा हुई बात मेरे मालिक
यु दगा दिया तूने भी इस कड़ाई मे।

@anurag_yadav_17

Third

Disha Kedia

“मजदूर”

मजबुरी उस नन्हे मजदूर की कोई कहा समझ पाया है,
किताब के बदले जिसने कांधो पर बोझ ज़िमेदारीयो का उठाया है,
ख्वाब उसके भी छोटे न थे
पर अफसोस!! दो वक्त की रोटी के खातिर उनको पसीने में बहाया है ।

©Disha Kedia
Insta id- khamoshiyonkibhasha

Special Write-up

Dr.(Major)Shital Jindal

•●•Labour•●•

“In the middle of afternoon
His labour, in his sweats shone,
For family, his hands striked
Masking hunger pangs, he smiled.”

— Dr. ( Major ) Shital Jindal
IG: Shital.jindal

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