“वो वीर सपूत भारत का/heroic son of india”– YMPH DAILY CHALLENGE WINNERS- POETRY

23/01/2021 की प्रतियोगिता का विषय है “वो वीर सपूत भारत का/heroic son of india”। हमसे जुड़े हुए प्रतिभावान कवियों के कविताओं को पढ़िए । प्रेम, डर, और अंधकार ऐसे कई मायने होंगे जो कवियों के दिल को भावुक रखते है । ऐसी भावुकता का हम आदर करते है और उनकी भावनाओं को निपुण बनाना ही संकल्प है हमारा । हम हर रोज किसी न किसी विषय पर अपने व्हाट्सएप्प ग्रुप में Daily Challenge प्रतियोगिता के माध्यम से लेखकों तथा कवियों को उनकी बातों को कलम तक आने का मौका देते है । और जो सबसे अच्छा लिखते हैं । आप उनकी लेख इस पेज पर पढ़ रहे है

अगर आप भी एक कवि या कहानीकार है और अपनी रचना को पन्नो पर उतारना चाहते है तो हमारा व्हाट्सएप्प ग्रुप अभी जॉइन कीजिये ।



WINNING ENTRY NO 01


वो वीर सपूत था भारत का,
छेड़ी जिसने आजादी की एक नई लड़ाई थी,

आजादी को अधिकार बताया अपना जिसने,
जिसने दिलों में आजादी की लौ जलाई थी,

वो वीर सपूत था भारत का जिसने,
खून के कतरे में,आजादी की शक्ल दिखाई थी,

निकला था अकेले ही पथ पर जिसने,
मिलकर सेना एक विशाल बनाई,

वो वीर सपूत था भारत का,
छेड़ी जिसने आजादी की एक नई लड़ाई थी,

हलचल मच गई चारों तरफ जैसे ही,
“आजाद हिन्द फौज” ने अपनी कदम बढ़ाई थी,

नींद उड़ गई गोरों की ऐसे मानो,
सल्तनत उनकी एका एक थर्राई थी,

वो वीर सपूत था भारत का,
छेड़ी जिसने आजादी की एक नई लड़ाई थी,


Shivendra Pratap Singh
@shivasinghksh

WINNING ENTRY NO 02


नाम वैसे तो था “सुभाष चंद्र बोस”,
पर जीवन के कुछ महान कार्यों से ये कहलाये “नेता जी”।
ना बहादुरी की कमी थी और ना हिम्मत,
और बुद्धिमत्ता की तो क्या ही कहने।
बचपन जहाँ विवेकानंद से प्रेरित था,
वहीं जवानी हमारे “चाचा जी” से प्रेरित हुआ।
कभी स्वयं गाँधी से लडे़,
तो कभी अंग्रेजों को बेसुध खदेडा़।
इक तरफ किताबे पढी़ अनेक,
तो दुजी तरफ नारे दिये अनेको।
पैदाइश थे भारत की, घुमे अनेको देश भी,
परंतु दिल रहा इस मिट्टी का ही,
पर बंद रहे जेलों मे सालो – साल इस मिट्टी के लिये ही।
कई काम अनदेखे – अनसुने इन्होने इस मिट्टी की आजादी के लिये,
और इक दिन विलीन हो गये इस मिट्टी मे ही इस मिट्टी के लिये।।


-Muskan
Ig- confused_yaara

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