17/01/2021 की प्रतियोगिता का विषय है श्वेत रंग/Drap me in white। हमसे जुड़े हुए प्रतिभावान कवियों के कविताओं को पढ़िए । प्रेम, डर, और अंधकार ऐसे कई मायने होंगे जो कवियों के दिल को भावुक रखते है । ऐसी भावुकता का हम आदर करते है और उनकी भावनाओं को निपुण बनाना ही संकल्प है हमारा । हम हर रोज किसी न किसी विषय पर अपने व्हाट्सएप्प ग्रुप में Daily Challenge प्रतियोगिता के माध्यम से लेखकों तथा कवियों को उनकी बातों को कलम तक आने का मौका देते है । और जो सबसे अच्छा लिखते हैं । आप उनकी लेख इस पेज पर पढ़ रहे है
अगर आप भी एक कवि या कहानीकार है और अपनी रचना को पन्नो पर उतारना चाहते है तो हमारा व्हाट्सएप्प ग्रुप अभी जॉइन कीजिये ।
First
Avijit Basu Roy
Drape me in white
Though, I was born in a society,
That called itself equal,
I was born less equal than others.
Often the first one to get up,
And the last one to eat,
I am not sure, where my home lies.
I belong to my masters often disguised as,
Fathers, brothers, husbands and sons.
Who or what belongs to me, I know not.
Drape me in white, I don’t deserve any colour.
Ig-bravijit@ khamkhyali
Second
Shivendra Pratap Singh
खफा मुझसे शायद वो खुदा हो गया,
जो माथे का सिंदूर, मुझसे जूदा हो गया,
ना जाने कितनी बची है अभी जिंदगी मेरी,
तन्हा करके वो तो मुझसे दूर हो गया,
लिपट जाएगा आज मुझसे श्वेत रंग ऐसे की,
बिरंगी दुनिया से मेरा मिलना जुलना,
उस खुदा को जैसे नामंजूर हो गया,
बढ़ जाएंगी पाबंदियां मेरी कुछ और,
अब तो घुट घुट के जीना जैसे कि,
मेरा दस्तूर हो गया,
रह गई ख्वाइशें ना जाने कितनी अधूरी,
संजोया हर सपना मेरा जैसे कि अब,
टूट कर चूर चूर हो गया,
खफा मुझसे शायद वो खुदा हो गया,
जो माथे का सिंदूर, मुझसे जूदा हो गया।
Ig-@shivasinghksh
Third
Zeenat
Drape me in white…
Hide me inside your precious vault
Because to allow me to breathe outside is a fault…
Use me whenever, you need some enjoyment….
Because for you I am just the source of entertainment…
Beat me whenever you are frustrated..
Because I am a woman, so this is my duty to get treated…..
Drape me in white, because colourful world is not for me..
And for me there is never any glee…
Just stop this please
I am a human, so treat me like this…
Ig-@al.fi7709
Speical Write up
Divya Saxena
श्वेत रंग
कभी कभी यूं गहरे घावों को कुरेदती हूं,
हां, अक्सर मैं भी ये सोचा करती हूं,
गर होती मैं भी श्वेत रंग तो होती मेरी भी कुछ पहचान,
ना मुख फेरते मुझसे मेरे अपने,
शायद पूरे होते फिर मेरे भी सपने,
देख मुझे जो लोग यूं तिस्कृत करते हैं
इन बातों से आहत हो लब मेरे ये आह भरते हैं,
कहते हैं जमाना बदल गया है,
फिर क्यों हर मोड़ पर मुझे बेइज्जत किया गया है,
खूबसूरत मन पर ना जाने क्यों ये श्वेत रंग भारी है,
दुनिया को बदलने की सुनलो अब अपनी ही बारी है….
Ig-@diaa_writes06
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