28/03/2021 की प्रतियोगिता का विषय है “होलिका/Burn the Fire of Holi”। हमसे जुड़े हुए प्रतिभावान कवियों के कविताओं को पढ़िए । प्रेम, डर, और अंधकार ऐसे कई मायने होंगे जो कवियों के दिल को भावुक रखते है । ऐसी भावुकता का हम आदर करते है और उनकी भावनाओं को निपुण बनाना ही संकल्प है हमारा । हम हर रोज किसी न किसी विषय पर अपने व्हाट्सएप्प ग्रुप में Daily Challenge प्रतियोगिता के माध्यम से लेखकों तथा कवियों को उनकी बातों को कलम तक आने का मौका देते है । और जो सबसे अच्छा लिखते हैं । आप उनकी लेख इस पेज पर पढ़ रहे है
अगर आप भी एक कवि या कहानीकार है और अपनी रचना को पन्नो पर उतारना चाहते है तो हमारा व्हाट्सएप्प ग्रुप अभी जॉइन कीजिये ।
First Gunjan
होलिका
एक था राजा बड़ा ही क्रूर
घमंड के नशे में चूर
नाम था उसका हिरण्यकक्ष्यप
हरि का मानता परम दुश्मन
पुत्र उसका बड़ा भोला – भाला
हरि को ही मानता अपना रखवाला
नाम था प्रह्लाद,स्वभाव से एकदम शांत
दिन रात हरि को जपता
पिता का हरि के सामने न कोई मोल
हिरण्यकक्ष्यप को था हरि नापसंद
इसलिए उसने चला एक षडयंत्र
अपनी बहन होलिका को बुलवाया
प्रह्लाद संग उसे अग्नि में बिठाया
होलिका को था ये वरदान
अग्नि से न जाएंगे उसके प्राण
लेकिन उस वक्त हुआ कुछ ऐसा अचंभा
प्रह्लाद अग्नि में भी रह गया जिंदा
होलिका ने पाप के लिए इस्तेमाल किया वरदान
इसलिए गवां बैठी अपने प्राण
सत्य ने असत्य पर जीत है मनाई
तब से होलिका दहन की रीत अपनाई
Second
Drashti Bhasha
जल कर खाख हो गया पल में अहंकार
जब सच्चाई छोटे बालक ने बताई
करते रहे घमंड अपनी शक्तियों का
साथ दे भगवान नष्ट करने को दुष्ट को
दिल में हरी हर का नाम लिए
बैठे प्रह्लाद होलिका की गोदी में
अभिमान था शक्तियों का जिसे
हरि ने पर में चूर कर दिया
उड़ कर जा गिरी चूनर भक्त के सर पर
साथ अगर सच्चाई हो तो साथ हरि का हो
किसी भी बुराई को जला सकते हैं
सदियों से चला आ रहा है
अहंकार धूल में मिटाते हुए।
Third
Sweta Roy
“होलिका “
असत्य पर सत्य की विजय की ये कहानी है
सत्य जीतता है हर लम्हा आज होलिका बताती यही कहानी है
अन्याय कितना भी क्यों न शक्तिशाली हो
सत्य क्यों न असहाय हो
न्याय और सत्य के आगे हारा हर पल है असत्य
होलिका है हर मनुष्य के अंदर जिसका स्वविवेक खो जाता है
अपने स्वार्थ और घमंड के बल पर
दूसरों को झुकाना चाहता है
होली का है शुभारंभ आज
आज मिलकर खेले होली
अपने अंदर की होलिका का दहन कर
सत्य के साथ खेले होली
हर बुराई का अंत होलिका दहन सत्य
प्रह्लाद सा
जिसके अंतर्मन में सत्य बसा उसको डर किस बात का।
Special Write-up
Sara Tendulkar
Burn The Fire Of Holi-
Fiery, dense and powerful.
Fire burning in a demon’s eyes.
This woman is the reason for making Holi colourful,
Her story will make you rhapsodize.
Once upon a time, is how it goes like.
Prahlad was born at a demon’s place,
And the demon didn’t like him because,
Prahlad worshiped Lord Vishnu at every fireplace.
Demon father, Hiranyakashyap, ordered Holika,
“Burn that Prahlad near his beloved fireplace”
‘Sure’, she said, with her skill of poetica,
And off she went to give Prahlad a chase.
Holika, unaware that the boon worked only when she was alone,
Had it all backfired,
And found herself in a real loud moan.
Out from the bonfire, came Lord Vishnu, preaching,
And that’s how we all started, this festival, celebrating.
Till this day we lit the beautiful bonfire,
Indicating the victory of the good,
And spreading colours throughout our neighbourhood!
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