21/12/2020 की प्रतियोगिता का विषय है “वियोग” / “Disconnection”। हमसे जुड़े हुए प्रतिभावान कवियों के कविताओं को पढ़िए । प्रेम, डर, और अंधकार ऐसे कई मायने होंगे जो कवियों के दिल को भावुक रखते है । ऐसी भावुकता का हम आदर करते है और उनकी भावनाओं को निपुण बनाना ही संकल्प है हमारा । हम हर रोज किसी न किसी विषय पर अपने व्हाट्सएप्प ग्रुप में Daily Challenge प्रतियोगिता के माध्यम से लेखकों तथा कवियों को उनकी बातों को कलम तक आने का मौका देते है । और जो सबसे अच्छा लिखते हैं । आप उनकी लेख इस पेज पर पढ़ रहे है
अगर आप भी एक कवि या कहानीकार है और अपनी रचना को पन्नो पर उतारना चाहते है तो हमारा व्हाट्सएप्प ग्रुप अभी जॉइन कीजिये
Disconnection/वियोग
आज के लेखनी के विजेता
पहले विजेता
Written by Niharika Chauhan
वियोग तेरा अब सेह ना पाऊंगी
तेरे बिना अब रह रह नहीं पाऊंगी
साथ ले जा मुझे अपनी दुनिया क्युकी तेरे बिना इस दुनियां में में अब रह नहीं पाऊंगी
तेरे बिना मेरा अस्तित्व अधूरा है
तू जो हो मुझमें तो मुझमें नूर पूरा है
बस कर अब माफ करदे
अब तू यू ना सता
लोटा दे मेरी दुनिया लोटा दे मेरा जहां
उसकी खुशबुएं जीने ना देती h मुझे उसके बिना
बस अब बोहत हुआ ना कर सकुनुंगा इससे ज्यादा इंतजार तेरा । तेरे पास आ रहीं हू मै क्यूंकि अब सेह ना सकूंगी वियोग तेरा
Instagram- It’s nihu
दूसरे विजेता
Written By Zeenat
Disconnection
Some weirdness
Something strange
Can’t describe
My pain’s range
Disconnection of you
Kills me every second
I am alive, truly
But without you to live, I can’t reckon
I have the habit to start my day with seeing your face
But from today I have no other trace
How I can’t be a hater of destiny?
This destiny snatches you from me
My heart has heartbeat,
Without you, yes it is beating
But I can’t feel my heartbeat
Because you are my all feelings
I request you “please come back”
I don’t want to live without you
Your disconnection removes all the tracks….
Instagram-@al.fi7709
तीसरे विजेता
Written by Anjali Soni
कुछ यूं असर है इस जिंदगी में तेरे जाने से
तेरे वियोग की बिरह से है छाया अंधेरा ,
अरमानों को मेरे आग – सी लग गई
धू-धू कर मेरी आशाएं जलने लगी,
कैसे करूं इस ध्वस्त – दग्ध हृदय को बया
कि मेरी तन्हाईयों के अंबर खुलने लगे,
पाकर तेरी जुदाई को ,ओ प्रियतम!
मेरी अंतरात्मा के तार टूटने लगे। क्या खता थी मेरी ,काश बता दिए होते तुम
मेरी चाहतों की डोली उठवाके क्या मिला तुम्हें ,
क्यों उस गुनाह को सच्चाई-सा समझ लिया तुमने
क्या मेरे अंतर्मन पर तरस नहीं आया तुम्हें ?
बस एक विनती है ,ओ अनजान शहर के मुसाफिर!
खरीदारी के पहले शहर को जान लेना चाहिए था,
मेरी वफा के आशियाने पर जो चिता तुमने जलाई है
एक बार उस बिरह की अग्नि को हाथ तो लगाया होता
है पूर्ण विश्वास कि खुद जलकर राख हो गए होते तुम
अगर हमारे स्नेह आंचल में दोष का दाग लगा होता।…
Instagram-@nandini_9569
Special Write-ups
Written by Avijit Basu Roy
Disconnected
There is a strange paradox, playing out there,
In a world shrinking further and further,
People are getting farther and farther
Away from each other.
We are connected to many,
And yet, attached to too few,
Bonded with none,
An isolated bunch of puppets,
Connected to separate strings,
That are attached to same hand,
Surviving, yet not living,
In a constant search for what’s missing.
Instagram-bravijit@khamkhayali
Written by Sayed Parvej ali
हिज्र की रातों को तेरे ख़्वाब आते हैं, सोने नहीं देते ये!, कमबख़्त सारी रात जागते हैं,
के तेरे ख़यालों से अब तक नहीं छूट पाया हूँ मैं, हर वक़्त हर पल ये मुझे बेचैन कर जाते हैं,
और तेरे आने की उम्मीद ना जाने अब तक कैसे कायम है दिल में, हाय तूझे ले कर दिल में कैसे-कैसे वसवसे आते हैं,
बग़ावत करती हैं धड़कने के जब भी तेरी जुदाई की बात करता हूं, उन्हें ये हौसले शायद गुजरे लम्हातों से आते हैं,
और हिज्र की रात शायद सबसे हसीन हुआ करती है, के मुहीब को उस रात उसके महबूब याद आते हैं…
हिज्र= वियोग
मुहीब= प्रेयसी
महबूब= प्रेमी
वसवसे= वहम
Instagram-@sayedwrites
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