नूतन वर्ष 2021 में 1/1/2021 की प्रतियोगिता का विषय है “New year/नववर्ष” । हमसे जुड़े हुए प्रतिभावान कवियों के कविताओं को पढ़िए । प्रेम, डर, और अंधकार ऐसे कई मायने होंगे जो कवियों के दिल को भावुक रखते है । ऐसी भावुकता का हम आदर करते है और उनकी भावनाओं को निपुण बनाना ही संकल्प है हमारा । हम हर रोज किसी न किसी विषय पर अपने व्हाट्सएप्प ग्रुप में Daily Challenge प्रतियोगिता के माध्यम से लेखकों तथा कवियों को उनकी बातों को कलम तक आने का मौका देते है । और जो सबसे अच्छा लिखते हैं । आप उनकी लेख इस पेज पर पढ़ रहे है । अगर आप भी एक कवि या कहानीकार है और अपनी रचना को पन्नो पर उतारना चाहते है तो हमारा व्हाट्सएप्प ग्रुप अभी जॉइन कीजिये ।
1 January 2021 के विषय
English : New year
Hindi : नववर्ष
के विजेताओं की कृतियां नीचे दी हुई है । अगर आपको पसंद आता है तो उन्हें इंस्टाग्राम पर जरूर फॉलो करें। आप नीचे कमेंट भी कर सकते है ।
विजेताओं की कृतियां
WINNING ENTRY NO 01
नव उमंग से ,
कोई अनोखे ढंग से ,
ढोल मृदंग से,
सत्कार है इस नवउदय का ,
दोहों और छंद से ।
कोई न होए अब रुष्ट ,
जब खिला है ये मनोहर पुष्प ,
किनारा हो घातक जंग से,
सत्कार है इस नवउदय का ,
दोहों और छंद से ।
सवेरा एक सुहाना आया ,
सांझ भी सुहानी होगी ,
स्वीकारो इस बेला को नव रंग से ,
सत्कार है इस नवउदय का ,
दोहों और छंद से ।
🤍 नूतन वर्ष की शुभकामनाएं 🤍
~नवनीत सिंह चन्द्रवंशी
@nav_singh01627
WINNING ENTRY NO 02
चलो इस वर्ष कुछ नई पहल करें,
जिंदगी कठिन लग रही हो तो सरल करें,
बनी अगर जिंदगी पहेली हो तो चलो सुलझा दें,
भटकते राहगीरों को सही रास्ता दिखा दें,
मंजिल तो मिल ही जाएगी बस प्रयत्न मत छोड़ना,
अगर एक बार हारे तो ठहरना, थोड़ा संभलना पर न रुकना,
मुश्किलों की घड़ी में मुक़ाबला करना डटकर,
आसमाँ छूना है तो, कभी चलना पड़ता है काँटों से भरे पथ पर,
कामयाब होतें हैं वो जो दुख में भी खुशियाँ ढूँढ लेते हैं,
डरते तो वो हैं जो कभी हंसने की ही नहीं सोचते हैं,
छोटी सी जिंदगी है, सूरज नयी रौशनी लिए आया है,
बीत गया साल वो पुराना, नया साल ढेरों खुशियाँ ले आया है,
तो चलिए इस वर्ष को हँसते हुए स्वीकार करें,
सपने जो अधूरे रह गए हैं उसे हम साकार करें ॥
Happy new year everyone!
Lovely Arya
Insta- @alfaaz_arya_k
WINNING ENTRY NO 03
New Year
New year, last year’s lost twin,
Eternal is thy mystique charm
That often marks, the other side
Of your ever veiled face.
Our hopes lie on your shoulders,
So does our dreams,
Alone, you carry our souls,
From what is, to what can be.
Ephemeral, that is you,
Yet, like a phoenix,
You reawaken from the ashes,
Year after year.
Avijit Basu Roy
bravijit@khamkhayali
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