02/05/2021 की प्रतियोगिता का विषय है “डूबा समंदर भी/Sunken Sea”। हमसे जुड़े हुए प्रतिभावान कवियों के कविताओं को पढ़िए । प्रेम, डर, और अंधकार ऐसे कई मायने होंगे जो कवियों के दिल को भावुक रखते है । ऐसी भावुकता का हम आदर करते है और उनकी भावनाओं को निपुण बनाना ही संकल्प है हमारा । हम हर रोज किसी न किसी विषय पर अपने व्हाट्सएप्प ग्रुप में Daily Challenge प्रतियोगिता के माध्यम से लेखकों तथा कवियों को उनकी बातों को कलम तक आने का मौका देते है । और जो सबसे अच्छा लिखते हैं । आप उनकी लेख इस पेज पर पढ़ रहे है
अगर आप भी एक कवि या कहानीकार है और अपनी रचना को पन्नो पर उतारना चाहते है तो हमारा व्हाट्सएप्प ग्रुप अभी जॉइन कीजिये ।
First
Savita Sawasia
डूबा समंदर भी
न माप तू
मेरी आँखों की गहराई,
न जाने
कितनी यादें हैं इनमें समाई,
जाना जब मैंने कि
ये दुनिया है कितनी मतलबी,
मेरे अश्क़ों की बरसात में
डूबा समंदर भी…..
मुझ संग ज़िन्दगी बिताने की
थी कसम तूने खाई,
तेरा प्यार पाकर
थी मैं कितना इतराई,
क्या तुझे नहीं है याद ???
करते थे हम एक दूजे से
बातें कितनी लम्बी,
एक लफ़्ज़ भी न सुन तुझसे
मेरी चाहतों का आज
डूबा समंदर भी……
तूने ही तो कहा था
तू मेरा प्यार है,
तुझसे ही मेरी ख़ुशी
तुझसे ही मेरा संसार है,
न समझ पाई मैं
क्यूँ बन गया तो फरेबी,
देख तेरी बेवफ़ाई
मेरी वफ़ाओं का
डूबा समंदर भी……
(Savi d shining star)
Second
Rupam Mahto
डूबा समंदर भी
डूबा समंदर भी आज संसार की ऐसी हालत देखकर।
चाओं तरफ छाई है मायूसी इस कदर।
डरता है आज इंसान,इंसान की परछाई से।
अपनों को देख पाना भी हो जाता है मुश्किल ऐसा है ये कुदरत का कहर।।
न जाने किस गुनाह की सजा पा रही है मानवता।
आधुनिकता अंधी की दौड़ में खो रही है कहीं न कहीं
हमारी सभय्ता ।।
कितना मुश्किल होता है जीना यहाँ अपनों को खोकर।
डूबा समंदर भी है आज
संसार कि हालत देखकर।।
ईश्वर की रहमत हो हमसब पे,हर तस्वीर बदल जाए।
हो जाए सब पहले सा ,सबके चेहरे खिल जाए।।
आएगा एक नया सवेरा नई सी रोशनी को लेकर।
डूबा समंदर भी आज तो क्या संसार की हालत को देखकर।।
रूपम…
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Third
Anjali Soni
डूबा समंदर भी 💦
मिलजुल कर एकत्र से थे सब
कोरोना का खौफ बढ़ता देख
उजड़ा दुनिया का मंजर भी,
खुशियां ही खिलखिलाती थी चहुँ ओर
त्राहि-त्राहि से त्रस्त, लोगों के अश्रु देख
डूबा समंदर भी
आखिर कब तक चलेगी यह त्रासदी
कब शांति दुनिया में आएगी,
कब विश्व रोग मुक्त होगा
कब गली-गली मुस्काएगी,
इस महामारी का जो चला तूफान
है चल रहा ,बाहर भी अंदर भी,
त्राहि-त्राहि से त्रस्त ,लोगों के अश्रु देख
डूबा समंदर भी
हर तरफ विलाप कर रहा संसार
न जीने का साधन है ,ना बचने का उपचार,
इस जंग में पराजय भी मुश्किल हो गई
मृत्यु के बाद हो गई शमशान की दरकार,
सावधान रह नियमों का पालन करना है
बचाना है सुख का लंगर भी ,
त्राहि-त्राहि से त्रस्त, लोगों के अश्रु देख
डूबा समंदर भी …
@nandini_9569
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