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Politics/YMPH-Daily-Writing-Challenge

18/08/2024 की प्रतियोगिता का विषय है “ Politics” हमसे जुड़े हुए प्रतिभावान कवियों के कविताओं को पढ़िए । प्रेम, डर, और अंधकार ऐसे कई मायने होंगे जो कवियों के दिल को भावुक रखते है । ऐसी भावुकता का हम आदर करते है और उनकी भावनाओं को निपुण बनाना ही संकल्प है हमारा । हम हर रोज किसी न किसी विषय पर अपने व्हाट्सएप्प ग्रुप में Daily Challenge प्रतियोगिता के माध्यम से लेखकों तथा कवियों को उनकी बातों को कलम तक आने का मौका देते है । और जो सबसे अच्छा लिखते हैं । आप उनकी लेख इस पेज पर पढ़ रहे है

The theme of the competition for 18/08/2024 is “ Politics ”. Read the poems of the talented poets associated with us. Love, fear, and darkness are the many meanings that keep the hearts of poets emotional. We respect such sentiments and it is our resolve to make their feelings adept. Every day, we give an opportunity to writers and poets to put their thoughts to pen through the Daily Challenge competition in our WhatsApp group on different Topic. And those who write best. You are reading those article on this page.

Politics

Lost In Corruption

A world where leaders serve
With heart,
Not personal gain, but a brand
New start.
Where transparency and
Accountability shine,
Decision made with wisdom
All the time.
That’s what politics I wish,
To be like,
But now it’s so much corruption,
So much blood shed,
And there are fight.

Fight for vote, fight for justice,
Everyday, everytime,
Make everyone roar with
Anger.

Want justice for that dreadful
Sight,
Politics is a world of corruption,
Is a world where evidence
Get lost,
Forever!!!

I hate politics, I don’t like it,
Cause there are no right,
Only wrong,
The topic today,
Has make me numb

Written by : Shrutira

“राजनीति का बोल बाला हैं,
इसका रोल बड़ा निराला है”

राजनीति का बोल बाला हैं,
इसका रोल बड़ा निराला है,
घर से ऑफिस तक,
मंदिर से मस्जिद तक,
अपनो से पराए तक,
सब रहते है इसकी ताक पर।

राजनीति का बोल बाला हैं,
इसका रोल ऑफिस में बड़ा निराला है,
काम किसी और का,
नाम किसी और का,
सब खेल है पावर और कुबुद्धि का।

राजनीति का बोल बाला हैं,
इसका रोल रिश्तों में बड़ा निराला है,
झूठ बड़ा मीठा लगता हैं,
सच कड़वे ज़हर सा चुभता है
हर रिश्ते को मियां मिठ्ठू धीरे-धीरे से निगलता है ।

राजनीति का बोल बाला हैं,
इसका रोल समाज में बड़ा निराला है,
अमीर-गरीब सब कहने को एक बराबर है,
हमारे हित की आड़ मे अपने हित का निहित स्वार्थ ही इनका निस्वार्थ भाव है।

राजनीति का बोल बाला हैं,
इसका रोल लिंग के आधार पर बड़ा निराला है,
पुरुष और स्त्री कहने को एक बराबर है,
यह पुरुष प्रधान समाज है
जो स्वयं ही स्त्री के अस्तित्व पर सवाल है
इससे उम्मीद स्त्री के हित की करना एक बेतुका सवाल है।

राजनीति का बोल बाला हैं,
इसका रोल शिक्षा में बड़ा निराला है,
शिक्षा दीक्षा पर अधिकार सभी का हैं,
जो परीक्षा के बाद ज़्यादा दीक्षा देगा सरकारी नौकरी पर अधिकार उसी का है,
रात-दिन की मेहनत कौन देखता है,
पॉवर और सत्ता की आड़ मे सब चलता है।

Preeti.A.R
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राजनीति

राजनीति नहीं रही राजनीति,
नहीं रही इसमें लोक- शासन की नीति,
ना रही इसमें न्याय- संगति,
ना रहे इसमें लोक- हितार्थ की पावन भावना,
ना रहीं राजनैतिक कार्यवाही पारदर्शी,
राजनीति का अर्थ सिर्फ रह गया स्वार्थपूर्ति।
आसीन हो जाना शिखर पर किसी को बनाकर सीढ़ी।
नहीं हिचकिचाहट होती किंचित भी,
मिटाकर किसी को करना स्वयं को महिमा मंडित।
भ्रष्ट हो गया आचार- विचार,
ना देश की प्रगति से मतलब,
नहीं लोगों में व्याप्त हैं खुशहाली।

स्वरचित उर्मिला वर्मा

 

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