09/09/2024 की प्रतियोगिता का विषय है “Mental Health” हमसे जुड़े हुए प्रतिभावान कवियों के कविताओं को पढ़िए । प्रेम, डर, और अंधकार ऐसे कई मायने होंगे जो कवियों के दिल को भावुक रखते है । ऐसी भावुकता का हम आदर करते है और उनकी भावनाओं को निपुण बनाना ही संकल्प है हमारा । हम हर रोज किसी न किसी विषय पर अपने व्हाट्सएप्प ग्रुप में Daily Challenge प्रतियोगिता के माध्यम से लेखकों तथा कवियों को उनकी बातों को कलम तक आने का मौका देते है । और जो सबसे अच्छा लिखते हैं । आप उनकी लेख इस पेज पर पढ़ रहे है
The theme of the competition for 09/09/2024 is “ Mental Health”. Read the poems of the talented poets associated with us. Love, fear, and darkness are the many meanings that keep the hearts of poets emotional. We respect such sentiments and it is our resolve to make their feelings adept. Every day, we give an opportunity to writers and poets to put their thoughts to pen through the Daily Challenge competition in our WhatsApp group on different Topic. And those who write best. You are reading those article on this page.
Mental Health
“MENTAL HEALTH”
I turned down a huge pay package,
I couldn’t do, to my brain huge damage.
I chose peace over prosperity,
I was content to be alive, over posterity.
Conscience is my soft pillow, Undoubtedly my dear fellow.
B.Raj Kumar.
Instagram ID: balasubramaniyan.rajkumar
सोच का सागर है गहरा
कभी कभी चैन को भी निगलता है
सोच अगर सही दिशा हो तो
मोती भी ये उगलता हैं।
सोच नई सपने नये
हर पल ये मन बूनता हैं
सोच अगर पावन हो तो
शब्दों में भी रब मिलता है।
सोच एक विचार है
जिससे तराशना हमें हैं ज़रूरी
सेहत भी फिर बने साश्री
निर्मल मन बने मंज़ूरी।
सोच का सागर है गहरा
कभी कभी चैन को भी निगलता है
सोच अगर सही दिशा हो तो
मोती भी ये उगलता हैं।
~ कृतिका अग्रवाल
मानसिक स्वास्थ्य
डॉ माया द्वारा केस अध्ययन के माध्यम से महिलाओं के चरित्र हनन और मानसिक तनाव के बीच सहसंबंध…
दुनिया भर में लाखों महिलाएं या तो साइबरबुलिंग से पीड़ित हैं या किसी बहुरूपिये द्वारा धोखा दिए जाने और आवाज को दबाने के लिए मानहानि या चरित्र हनन के जरिए आवाज का मुकाबला करने की घटनाओं से पीड़ित हैं। मानहानि के मुकदमे अक्सर अपमान और शर्मिंदगी के मुआवजे के रूप में हर्जाना मांगते हैं। कुछ मामलों में, ऐसे भावनात्मक संकट के नुकसान की भरपाई की जा सकती है, भले ही संबंधित शब्द अपमानजनक न हों और किसी भी महिला के मानसिक स्वास्थ्य पर भारी प्रभाव डालते हों। चरित्र हत्या, इसकी विविधताएं और इससे संबंधित हेरफेर एक जटिल सामाजिक-मनोवैज्ञानिक घटना है जिसमें त्रिकोणीकरण, गलत चरित्र चित्रण, शक्ति का खेल, मानहानि, प्रक्षेपण और सामाजिक नाटक शामिल हैं। सफल होने पर, चरित्र हनन के परिणामस्वरूप पीड़ित को सामाजिक अस्वीकृति या सामाजिक हमले का सामना करना पड़ता है। “आइटम”, “चिंकी”, “माल” आदि जैसे शब्द न केवल प्रकृति में अपमानजनक हैं, बल्कि एक महिला की विनम्रता को अपमानित करने का कार्य हैं। यदि कोई व्यक्ति लड़की प्राप्त करने में सक्षम नहीं है या अहंकार को खत्म कर दिया जाता है किसी व्यक्ति पर सबसे अच्छा हमला चरित्र हनन द्वारा सीधे उसकी ईमानदारी पर प्रहार करना है। भारत जैसे देश में जहां चरित्र एक बहुत ही संवेदनशील पहलू है।चरित्र हनन के शिकार लोग तनाव और चिंता सहित कई तरह के भावनात्मक संकट का अनुभव कर सकते हैं। इसका कारण अवसाद है। लगातार नकारात्मकता और अनिश्चितता के परिणामस्वरूप पीड़ितों को उच्च मात्रा में भावनात्मक तनाव का अनुभव हो सकता है। चरित्र हनन से शारीरिक स्वास्थ्य समस्याएं और क्षतिग्रस्त प्रतिष्ठा हो सकती हैं । पीड़ितों को खराब प्रतिष्ठा का अनुभव हो सकता है, जिससे सम्मान हासिल करना और उनके करियर को आगे बढ़ाना मुश्किल हो जाएगा।चरित्र हनन सदियों से सत्ता संघर्ष का एक व्यापक तरीका रहा है। तकनीकों में नकारात्मक प्रचार, अफवाहें फैलाना, गुमनाम ऑनलाइन मानहानि और कई अन्य रणनीतियां शामिल हैं। इसी तरह, चरित्र हनन के शिकार व्यक्ति को अन्य प्रकार के उत्पीड़न के लिए निशाना बनाया जा सकता है। यदि जनता को किसी व्यक्ति के बारे में दिए गए बयान के बारे में पता चलता है, तो वे धमकियों, शारीरिक हिंसा की कार्रवाई या अन्य माध्यमों से उस व्यक्ति के साथ अनुचित व्यवहार करना शुरू कर सकते हैं। मानहानि के बाद प्रतिशोध का सबसे आम प्रकार सोशल मीडिया जैसे ऑनलाइन चैनलों के माध्यम से है।समकालीन राजनीति में ये सभी आम हैं, लेकिन शक्तिशाली महिलाओं, मशहूर हस्तियों, एथलीटों, वैज्ञानिकों और उच्च सार्वजनिक प्रोफ़ाइल वाले अन्य लोगों को उनके करियर में आगे बढ़ने से रोकने के लिए उनके चरित्र पर हमलों का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। हमलावर अपने पीड़ितों को बदनाम करने और उन्हें तिरस्कार और उपहास का पात्र बनाने के प्रयास में उनके निजी जीवन, मूल्यों और पहचान को निशाना बनाते हैं।चरित्र हनन के तरीके, जिन्हें ‘गुमनाम झूठ’, ‘गलत उद्धरण’, ‘चुप करना’, ‘बर्बरता के कृत्य’, ‘नाम-पुकारना’, ‘मानसिक बीमारी’ और ‘यौन विचलन’ के रूप में परिभाषित किया है।चरित्र हनन का किसी व्यक्ति के जीवन पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है और इस प्रकार, “चलता है” के नाम पर निंदा करने वाले अपराधियों को प्राथमिकता देने के लिए रिपोर्ट की जानी चाहिए।
-डॉ माया 📖
मानसिक स्वास्थ्य कैसे मजबूत बनाये?
हमें हमारे जीवन में शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए। क्योंकि यदि हमारा शारीरिक स्वास्थ्य है बहुत अच्छा है परंतु हमारा मानसिक स्वास्थ्य है बिगड़ा हुआ है तो हम जीवन में खुश नहीं रह सकते और ना ही अपने जीवन में आगे बढ़ सकते हैं। हमारी जिंदगी में कई बार ऐसी परिस्थितियां आ जाती हैं जो हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर डालती हैं। और हम अवसाद से घिर जाते हैं। अपने जीवन को अच्छी तरह से व्यतीत करने के लिए हमें अपने मानसिक स्वास्थ्य की और विशेष ध्यान देना चाहिए। अपने मानसिक स्वास्थ्य को अच्छा बनाने के लिए हमें नियमित रूप से ध्यान और योग करना चाहिए। अपने मानसिक स्वास्थ्य को अच्छा करने के लिए हमें अच्छी-अच्छी पुस्तकें पढ़नी चाहिए। मानसिक स्वास्थ्य को अच्छा करने के लिए मधुर संगीत सुनना चाहिए और जितना हो सके उतना दोस्तों के साथ समय व्यतीत करना चाहिए क्योंकि जब हम खुश होते हैं तो हमारे शरीर से अच्छे हारमोंस रिलीज होते हैं जिससे हमारा मानसिक स्वास्थ्य अच्छा होता है। आज की भागदौड़ वाली जिंदगी मैं कुछ समय निकाल कर सैर के लिए निकल जाना चाहिए। हमेशा प्रकृति के सानिध्य में रहना चाहिए और जब कभी हमें महसूस हो कि हम अवसाद में जा रहे हैं तो बिना किसी शर्म या झिझक के किसी एक्सपर्ट से सलाह लेनी चाहिए और अपने जीवन को एक नई दिशा देनी चाहिए।
सौ, भावना मोहन विधानी ✍🏻
ख़ामोशी साथ लिए ही सो जा रहे हम,
क्यूँ मन को बहलाकर ख़ुद खो जा रहे हम?
बंजर पडी है आंखे भी अब नम न दिखेगी,
आँखों से कहाँ अब तो दिलसे ही रो जा रहे हम!
दुःख-दर्द-पीड़ा-ख़ामोशी-ग़म-गुस्सा-राज,
सब मन में दबे रख ही अपनों से दूर, लो जा रहे हम।
ना सेह भी पाएंगे ना किसी से बांट भी पाएंगे,
इसलिए ये तनाव अपने अंदर ही लपेटे, धो जा रहे हम।
मनोदशा स्वास्थ्य रखने भड़ास निकलनी जरूरी “सिद्धार्थ”
इसलिए अब अच्छे के साथ अच्छे बुरे के साथ बुरे हो जा रहे हम।
– Siddharth Somani ✍️
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