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Childhood/YMPH-Daily-Writing-Challenge

19/11/2023 की प्रतियोगिता का विषय है “Childhood“। हमसे जुड़े हुए प्रतिभावान कवियों के कविताओं को पढ़िए । प्रेम, डर, और अंधकार ऐसे कई मायने होंगे जो कवियों के दिल को भावुक रखते है । ऐसी भावुकता का हम आदर करते है और उनकी भावनाओं को निपुण बनाना ही संकल्प है हमारा । हम हर रोज किसी न किसी विषय पर अपने व्हाट्सएप्प ग्रुप में Daily Challenge प्रतियोगिता के माध्यम से लेखकों तथा कवियों को उनकी बातों को कलम तक आने का मौका देते है । और जो सबसे अच्छा लिखते हैं । आप उनकी लेख इस पेज पर पढ़ रहे है

The theme of the competition for 19/11/2023 is “Childhood“. Read the poems of the talented poets associated with us. Love, fear, and darkness are the many meanings that keep the hearts of poets emotional. We respect such sentiments and it is our resolve to make their feelings adept. Every day, we give an opportunity to writers and poets to put their thoughts to pen through the Daily Challenge competition in our WhatsApp group on different Topic. And those who write best. You are reading those article on this page.

बचपन
जिंदगी इतनी आसान नहीं थी
जितनी हम समझ बैठे थे
बनाना था अपना कारवाँ और
हम जंहा भूल बैठे थे….
थी वो बचपन की यादें
कुछ खट्टी -मीठी बाते
जिंदगी का मेला लगा था
खुशियों का रेला लगा था
मलाल किसी बात का नही था
और आता किसी का खयाल नही था
ख्वाईश आसमा छूने की नही थी
गिर जाए तो उठने की ज़रूरत नहींथी
ना ही कोई कानून-कायदे थे
ना किसी से किए कसमें- वादे थे
थी वो बचपन की यादें
कुछ खट्टी-मीठी बातें
मंज़र क्या था, ये पता नहीं था
चुभता किसी कोने में दुख का
कोई खंजर नहीं था
कहानी ये बचपन की फिर
दोहराई जाएगी, आज मै
सुना रही हू ,कल आप की
जुबानी अपनों को सुनाई जाएगी
थी वो बचपन की यादें
कुछ खट्टी-मीठी बाते

Sangeeta

बचपन
बचपन की वो यादें आज बहुत याद आती है,
अपनी मस्ती में रहना मस्ती में खेलना उस समय ना टेंशन पढ़ाई की ना ही काम की ,नये नये दोस्त बनाना
ना दोस्ती में कोई अन्तर देखना
समय की कोई पाबन्दी नहीं,जब मन किया सो गए
जब मन किया उठ गए, वो छोटी छोटी बातो पर रुठ कर अपनी बातें मनवाना ,वो दिन भी क्या दिन थे यारो .जो बहुत याद आता है,गर्मियों की छुट्टियों के वो दिन जिनका बेसब्री से इंतजार रहता था वो मामा का घर बहुत याद आता है,
बचपन की हर याद अब बस यादें बन कर रह गई हैं,
बचपन की मस्तियाँ और दोस्त बहुत याद बहुत याद आतें हैं
यारों बचपन इतना प्यारा था कि उस को शब्दों में बयां किया जा सकता नहीं ,अब लगता है काश कोई फिर से लौटा दे वो बचपन के दिन ,
मन करता है फिर से उस बचपन में चली जांऊ और लौट कर कभी वापस ना आऊं !!
“शिखा पाल”

बचपन

उस पेड़ से अधपके अमरूद
आज फिर चुपके से चुराते हैं
चंपा की वो सबसे ऊंची डाली पे
चढ़ने का फिर शर्त लगाते हैं
इमली के वो कच्चे पक्के टुकड़े
नमक मिर्च डाल,मां से छुपकर फिर खाते हैं
चलो ना आज
फिर से वही बच्चे बन जाते हैं….

धूल फांकती कच्ची राहों पर
वो गिल्ली डंडे का रेला लगाते हैं
खुले मैदान ढूंढ कहीं फिर
पिट्ठू,कबड्डी, लंगड़ी की धूम मचाते हैं
लुका-छुपी, रस्सा-कस्सी से आज
इक बार फिर आज दिल को बहलाते हैं
चलो ना आज
फिर से वही बच्चे बन जाते हैं….

भूल चुके बचपन को आज
अपने ज़ेहेन में फिर से जगते हैं
कुछ पल के लिए सारी जिम्मेदारी को
पोटली में बांध, दूर कहीं छोड़ आते हैं
अपनी पुरानी वही टोली बनाकर
बिछड़े उस बचपन को उठा कर लाते हैं
चलो ना आज
फिर से वही बच्चे बन जाते हैं…..

Sarita Gari
Insta I’d- sariita_writes017

Childhood memories
I have a lot of childhood memories
But this is close to my heart
I have very fond memories of Chhath puja
Starting with washing Chhathi’s mail
Then colouring on it
Enhancing it with my creativity and paintings
Cleaning the ghat of maiya and filling it with water
Preparing the thekua and puri with ladies
Meanwhile enjoying the song of Chhath
Have to get -together with all your loved ones
Meeting with cousins
Firing a lot of crackers
Clicking photos
Having long conversations with them
Filling Koshi together and lighting the diyas
And at last, eating my favorite thekua and dishes
Chhath is that festival when my all loved ones
come together to celebrate it as all are very much attached with emotions to this festival
I just loved this memory
And living with it till know

Anushka Pandey

भरते थे उड़ान,चलाते थे
कागज़ की कश्तियाँ,,
हमारी भी बचपन में होती
थी शरारत भरी नमकीन
मस्तियाँ।
Sweeti jain

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