14/05/2021 की प्रतियोगिता का विषय है “Flying Birds/उड़ते पंछी”। हमसे जुड़े हुए प्रतिभावान कवियों के कविताओं को पढ़िए । प्रेम, डर, और अंधकार ऐसे कई मायने होंगे जो कवियों के दिल को भावुक रखते है । ऐसी भावुकता का हम आदर करते है और उनकी भावनाओं को निपुण बनाना ही संकल्प है हमारा । हम हर रोज किसी न किसी विषय पर अपने व्हाट्सएप्प ग्रुप में Daily Challenge प्रतियोगिता के माध्यम से लेखकों तथा कवियों को उनकी बातों को कलम तक आने का मौका देते है । और जो सबसे अच्छा लिखते हैं । आप उनकी लेख इस पेज पर पढ़ रहे है
अगर आप भी एक कवि या कहानीकार है और अपनी रचना को पन्नो पर उतारना चाहते है तो हमारा व्हाट्सएप्प ग्रुप अभी जॉइन कीजिये ।
First
Aarna Ranjan Singh
Flying Bird
Like a Flying bird just out to have a sight,
We flap, we try to cruise out in the sky.
We fall, we cry for boundaries are there to tie,
Obstacles we see and give up with sigh.
But back again with burning will inside,
We launch again and put up a fight.
We are mocked, stopped and pushed
Made to follow a fearless world
Their effort is in vain,
We don’t want to be the same,
Challenges are what
pumps up our game.
I know it may be stupid,
For the writing is plain,
But I’ll still keep up the work,
Until I break down the chains.
Second
Sweta Roy
उड़ते पक्षी
उड़ते पक्षी को देखो
कितना सुंदर उसका स्वतंत्र जहान
न बंदिशे इस जग की न सरहदों का
दायरा
पूरा आस्माँ और जमी जैसे हो उसका गुलिस्तान
छोटे अरमानों के पंख लिए नीले नभ
पर जब वह इतराती है
अपने हौसलों के पंख से इस जमी को
आस्माँ से मिलाती है
उड़ते पक्षी से सीखो अपने मंजिल को
पाना
इस धरा से आस्माँ तक अपना एक स्वतंत्र जहान बनाना
जहाँ न सरहदों का दायरा हमें न रोक
पाए
मंजिल चाहे कितनी भी क्यों न जटिल
हो
हर हाल में अपना एक स्वतंत्र जहान बना पाए।
Insta Id-roys17924
Third
Anjali Soni
उड़ते पंछी🕊
देखो अगर देख पाओ तो
उड़ते पंछी को उन्मुक्त गगन में,
हल्का कर पाओ खुद को तो
उड़ते पंछी सा हल्का हो जाओ,
विचारों को परख पाओ तो
उड़ते पंछी की तरह बेसुध हो जाओ,
उड़ते पंछी की कमाल है विशेषताएँ
स्वच्छंद उड़ें,करें पार सारी बाधाएं,
उन्हें उड़ने से कोई रोक ना पाए
कोई कितनी सीमा तक जोर लगाए,
उनके पंख दिखाते हैं ऊपर उठने की राह
दृढ़ निश्चय हो,और हो उड़ने की चाह,
उड़ते पंछी की छठा सुहानी होती है
जुट हो या अकेले सुंदरता उनकी माेहती है,
आज सीखा मैंने सबक उड़ते पंछी से
ऊपर उठना है तो विचारों को उठाना होगा,
शांत और अपनी धुन में रहना होगा,
या तो चुपचाप तब सहना होगा
या उड़ते पंछी की तरह बेतहाशा उड़ना होगा।…
@nandini_9569
Special Write-up
Mrudul Shukla
उड़ते पंछी
उड़ते पंछी खुले आसमान मे उडते है,
पर नजर उसकी जमीन पर भी होती है।
ऊडते ऊडते ऊंचाई रोज अवकाश मे छूते है,
पर शाम को लौटकर फिर जमीन पर आते है।
कोशिश उनकी रोज मंजिल की ओर जारी रहती है,
अब उन्हे ऊंचाई छूने की आदत सी बन जाती है।
पिजरे मे कैद पंछी, यही कहते है हमे उडने दो,
आसमान को छू ने दो,जंगल की हवा खाने दो ।
आजादी की मजा लूटने दो,हमें उड़ते पंछी रहने दो,
तेरते तेरते हवाओं में, मंजिल की और बढ़ने दो ।
फूलों से हमें लगाव है,जंगल में आशियाना बनाने दो,
पिंजरे मे हमें मत कैद करो,उड़ते पंछी है हमेंऊडने उड़ने ने दो।
“मूदुल मन” अब यही कहता है,बातें उनकी सुन लो,
पिंजरे मे रहने का दर्द, हमने भी अब समझा है
कैद रहकर अब हमने भी यह दर्द देखा है,
उड़ते पंछी को अब उड़ने दो,उडते ही रहने दो।
writer: मृदुल शुक्ल (मृदुल मन)
Instagram: mrudul_shukla
Comments are closed.