16/10/2024 की प्रतियोगिता का विषय है “Habit” हमसे जुड़े हुए प्रतिभावान कवियों के कविताओं को पढ़िए । प्रेम, डर, और अंधकार ऐसे कई मायने होंगे जो कवियों के दिल को भावुक रखते है । ऐसी भावुकता का हम आदर करते है और उनकी भावनाओं को निपुण बनाना ही संकल्प है हमारा । हम हर रोज किसी न किसी विषय पर अपने व्हाट्सएप्प ग्रुप में Daily Challenge प्रतियोगिता के माध्यम से लेखकों तथा कवियों को उनकी बातों को कलम तक आने का मौका देते है । और जो सबसे अच्छा लिखते हैं । आप उनकी लेख इस पेज पर पढ़ रहे है
The theme of the competition for 16/10/2024 is “Habit”. Read the poems of the talented poets associated with us. Love, fear, and darkness are the many meanings that keep the hearts of poets emotional. We respect such sentiments and it is our resolve to make their feelings adept. Every day, we give an opportunity to writers and poets to put their thoughts to pen through the Daily Challenge competition in our WhatsApp group on different Topic. And those who write best. You are reading those article on this page.
Habit
आदत
हर मोड़ पर डरता है दिल,
कहीं डरने की आदत न हो जाए।
छुपा के रखता हूं जज़्बात अपने,
धमका के रखता हूं वो सपने,
कहीं बोलने लगा तो बोलूंगा,
लेकिन कहीं बोलने की आदत न हो जाए।
गुस्सा बहुत रखता हूं सीने में,
नहीं दिखता कभी मेरे जीने में,
दिखा तो सकता हूं हर बात पर,
पर कहीं गुस्साने की आदत न बन जाए।
शर्म भी आती है कई बार ज़हन में,
दिखाता हूं हर बार झूठा घमंड मैं,
मैं शर्मिंदगी मार देता हूं हर बार,
कहीं शर्माने की आदत न हो जाए।
_#भारतीय सम्राट
आदत…..
मैं यूं ही बेवजह राहों पर निकल पड़ता था
नज़रे जमाकर राहों पर इंतज़ार करता था
ना कोई रोग ना कोई होश मुझे
बस यूं ही ख़ामोश अपने ख्यालों में रहता था
अब जाके आया है होश मुझे
अकेले रहने की आदत-सी हो गई थी मुझे
लेकिन अब जान गया हूँ मैं ज़िंदगी की सच्चाई को
ये बदलते रिश्ते और नकली चेहरों को
अब मैं खुद ही खुद का सहारा हूँ
मैं खुद ही खुद को समझाता हूँ
मेरे दिल में मेरे ही ख्वाब हैं,
मेरे मन में मेरे ही अरमान हैं
आदत बना ली मैंने खुद को प्यार करने की
आदत बना ली मैंने अपने जीवन को खुशियों से भरने की
आदत बना ली मैंने हर दिन को अर्थ देने की
आदत बना ली मैंने हर पल को जीने की,एक नई राह बनाने की
✍️महिमा गुनसोला
Habit
Carried the feeling of Monachopsis all my life,
An apanthropy is what I started to thrive,
In a world where I couldn’t find someone mine,
I had decided to leave it all behind.
Then a came a day a tall figure in white,
A hope stood at sight,
For he aroused the yūgen in me,
I was surprised at his innocence and mystery.
He is the habit that I want to abide by,
Promising each other to give life another try,
A habit that will take me some more time,
But all I know is He will be by my side,
Until the end of time.
Vini.K
Instaid- victoriousvini
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