19/08/2024 की प्रतियोगिता का विषय है “Nature” हमसे जुड़े हुए प्रतिभावान कवियों के कविताओं को पढ़िए । प्रेम, डर, और अंधकार ऐसे कई मायने होंगे जो कवियों के दिल को भावुक रखते है । ऐसी भावुकता का हम आदर करते है और उनकी भावनाओं को निपुण बनाना ही संकल्प है हमारा । हम हर रोज किसी न किसी विषय पर अपने व्हाट्सएप्प ग्रुप में Daily Challenge प्रतियोगिता के माध्यम से लेखकों तथा कवियों को उनकी बातों को कलम तक आने का मौका देते है । और जो सबसे अच्छा लिखते हैं । आप उनकी लेख इस पेज पर पढ़ रहे है
The theme of the competition for 19/08/2024 is “ Nature ”. Read the poems of the talented poets associated with us. Love, fear, and darkness are the many meanings that keep the hearts of poets emotional. We respect such sentiments and it is our resolve to make their feelings adept. Every day, we give an opportunity to writers and poets to put their thoughts to pen through the Daily Challenge competition in our WhatsApp group on different Topic. And those who write best. You are reading those article on this page.
Nature
Nature
The Tree looks at me as one who chops,
That I do not even shed for it 2 tear drops.
The plant begs me to water it daily,
That only ensures it drinks sumptuously.
The flower says ” Don’t pluck me so early,
Let me enjoy the breeze and swing gently.”
The river says that ” Do not pollute”,
The chemicals we dump, it doesn’t refute.
The sea says no to plastic,
That harm fishes and make them sick.
Nature expects only minimal care from us,
Never does it tire of repaying hugely without any fuss.
B.Raj Kumar.
Instagram ID: balasubramaniyan.rajkumar
When I hear the word nature
I simply feel that nature is that power that is available to us everywhere in every moment.
And one belief that I have is NATURE CAN NUTURE THE NATURE THAT HUMAN WANTS TO HAVE TO BE AT PEACE.
Sukriti
InstaId: sukushiwritings
।।पलास।।
मैं दुनिया भर से हताश होकर,
खफा सरासर निराश होकर,
अनेक लम्हें गवा चुका हूं,
है माज़ी मेरी अलग तमाशा,
ना जाने क्या क्या भुला चुका हूं।।
मिया लड़कपन के पीछे पीछे,
जो चल पड़ा आंखें मीचे मिचे,
पुरानी गलियां हसास खोकर,
कहानियों की मैं प्यास होकर,
सलोना आंगन उदास छोड़ा,
यानी दर्खतों का दिल भी तोड़ा।।
महकती कलियों को चुनने खातिर,
या आरजूओं को बुनने खातिर,
बस इक इबारत की लालसा थी,
सो डायरी को ही यार करके,
यूं कागज़ी ऐतबार करके,
कोरे वरक पे बिखर चुका हूं,
मैं रोशनाई में तर चुका हूं।।
यूं जो कभी खुद अना से निकलूं,
जो ख़्वाबों के गुलसीतां से निकलूं,
असाइशों को जो रोक लूं तो,
मैं रुक के राहों पे सोचता हूं,
क्या काम आया बला का औहदा,
किताबी बातें जियां का सौदा,
फिजूल पन्ने सजा रहा हूं,
घटा से कश्ती लड़ा रहा हूं,
मैं बेचता हूं गुलाब कागज़,
दरख्त कितने जला रहा हूं।।
भटक रहा हूं पराया गांव
तलाशता हूं घनेरी छांव
के जिसके साए में आ गिरूँ मैं
उतार फेंकू दुरूद पांव
चटोरी अंखियों से जा मिलूं मैं
दो चुस्कियों का असर सुनाऊं।।
गुमां का मेरे दरीचा था इक,
जहान मेरा बगीचा था इक।।
वहां पे खिलती हैं अब भी चाहत,
बिना शिकायत बिना इजाज़त।।
जुनून मेरा निवास था इक,
शजर दीवाना पलास था इक।।
आनंद अजीब
Insta ID: @enigmaticbanda
Nature is the beautiful creation of God.
Nature is an art of earth.
Where flower blooms
Sunlight gives a ray of hope
The moon is the magic of the soul.
Stars are the shining and brightness to the world.
Earth is our mother. Love Earth as you love yourself.
You are a part of the Earth. Earth provides everything to us.
Tress gives soothing to our eyes. Provide Shelter and food to us.
Where there are environmental lovers
Nature is my first teacher of life who taught me about life.
Anushka Pandey
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