29/07/2024 की प्रतियोगिता का विषय है “ Pain” हमसे जुड़े हुए प्रतिभावान कवियों के कविताओं को पढ़िए । प्रेम, डर, और अंधकार ऐसे कई मायने होंगे जो कवियों के दिल को भावुक रखते है । ऐसी भावुकता का हम आदर करते है और उनकी भावनाओं को निपुण बनाना ही संकल्प है हमारा । हम हर रोज किसी न किसी विषय पर अपने व्हाट्सएप्प ग्रुप में Daily Challenge प्रतियोगिता के माध्यम से लेखकों तथा कवियों को उनकी बातों को कलम तक आने का मौका देते है । और जो सबसे अच्छा लिखते हैं । आप उनकी लेख इस पेज पर पढ़ रहे है
The theme of the competition for 29/07/2024 is “ Pain”. Read the poems of the talented poets associated with us. Love, fear, and darkness are the many meanings that keep the hearts of poets emotional. We respect such sentiments and it is our resolve to make their feelings adept. Every day, we give an opportunity to writers and poets to put their thoughts to pen through the Daily Challenge competition in our WhatsApp group on different Topic. And those who write best. You are reading those article on this page.
Pain
“दर्द”
बेचैनी सी तन्हाई लिपटी हुई
जिंदगी बेरंग बनी पडी बेदर्द
ख़ामोशी का शिकार हर कोई
अपने ही बन गए,अपनों के मर्ज
हर कोई भाग दौड़ में जी रहा
भूल गए जिम्मेदारीयो तले फर्ज
ऋणी तो यहां सभी बनकर आऐ हैं
नजाने कौन उतारे किसका कर्ज
सभी के अलग ग़म अलग सभी के रंग
चल फैलाए ख़ुशियाँ साथ में साथ में उमंग
कहूँ में “सीधे-अर्थ” में इतना की बस
बाँट के कम कर दे एक दूसरों के दर्द
🖋Siddharth Somani🖋
दर्द…..
हर दर्द की दवा नहीं होती
घाव जब नासूर बन जाए तब
चुभने की कोई वजह नहीं होती।
Shweta Gupta
Insta I’D _Shwetagupta3615
Pain is a weight that’s hard to bear
A constant ache that’s always there
It hurts and burns, a sad refrain
A reminder of heartache and pain
But even in pain, there’s hope to find
A chance to heal, to leave it behind
To rise above, to love again
To learn to live with a heart that loves
— Ananya Mishra
*Echoes of Pain*
The shadows softly creeping, where sorrows silently weep,
Lies a haunting presence, in the moments we can’t keep.
A whisper in the darkness, a tear that leaves its stain,
In the echoes of our hearts, lives the specter of pain.
It dwells within our dreams, in the moments lost and gone,
A bitter taste of memories, a cry before the dawn.
A weight upon our shoulders, a burden on our soul,
In the silent, somber stillness, it takes its heavy toll.
Through the cracks of fragile smiles, it weaves its subtle thread,
In the lines of whispered fears, in words left unsaid.
It lingers in the silence, in the spaces in between,
A shadow cast on sunlight, where joy is seldom seen.
Yet in the heart of suffering, a fragile strength is found,
A resilience that rises, from the ashes of the ground.
For in the depths of sorrow, a spark of hope remains,
A light that guides us forward, through the endless, aching pains.
So let us embrace the darkness, with courage and with grace,
For pain, though ever-present, is a part of life’s embrace.
And in the quiet moments, when the tears begin to fall,
We’ll find the strength to stand again, and rise above it all.
~Ayushi
Pain
Path will bring you pain.
What lies within us can never be taken away.
Leave pain of past where it lies.
Where there is pain,there is strength.
Embrace life and life will love you back.
You have you,that’s enough.
Rise above your pain.
Things will work out in life.
Your life is always ahead of you.
The past is in your thought.
Your power is now.
Live for what today has to bring,not for what yesterday has taken away.
You have power to take your life in new path.
Roopal Arora
@a.roopal
दर्द की कोई दवा मिल जाए तो..!
ज़िंदगी तेरा पता मिल जाए तो..!
आज की इस भीड़ में खोई हुई,
फुर्सतों की दास्तां मिल जाए तो..!
पत्थरों को चीरकर आगे बढ़े,
एक झरना प्यार का मिल जाए तो…!
जो मुझे पहुंचाए उनके दिल तलक,
कोई ऐसा रास्ता मिल जाए तो..!
भेड़िए ही भेड़िए हैं हर तरफ़,
आदमी तेरा पता मिल जाए तो..!
©® डॉ शशि जोशी ”शशी ”
कल मैं सड़क से जा रही थी तभी एक अमीर बाप के बेटे ने मुझे पोर्चे गाड़ी से मार दिया
दो दिन तक तो मीडिया पर बहुत बहस हुईं पर फिर किसी ने मेरी जान की कीमत नहीं सोची,
चलो छोड़ो, उस से पहले मेरे कई भारतीय भाई बहन रेल हादसे में मारे गए ,
फिर जब मैं एक दिन हवाई जहाज से यात्रा करने जा रही थी तब वहां हवाई अड्डे की दीवार टूट गई !
जैसे तैसे मैं जान बचा कर अस्पताल पहुंची , वहां मैंने देखा कैसे मरीज़ लाइनों में लगे हुए हैं और सारे सरकारी डॉक्टर एक वाटर कूलर के उद्घाटन में व्यस्त थे ,
मैंने इसकी कंप्लेंट करनी चाही तो सरकार की ऑनलाइन वेबसाइट क्रैश थी //
फिर मैंने खुद को एक जागरुक डॉक्टर बनाने का सोचा
मैंने पेपर भी दिया पर वो क्वेश्चन पेपर एग्जाम से पहले ही लीक हो जाता हैं ,
फिर वहीं न्यूज आती हैं कि एक ट्रेनी आईएएस अधिकारी फर्जी डॉक्यूमेंट्स के साथ आईएएस के पद पर नियुक्त कर दी जाती हैं , वहां से फिर कई ऐसे ही फर्जी आईएएस आईपीएस अधिकारियों का पता चलता हैं
पर फिर उन सीट्स का क्या होता वो कोई नहीं जान पाता जिनकी वजह से कोई एक नंबर से एग्जाम में फेल हो जाता हैं //
इन सबके बाद मैं एक ईमानदार अफसर बनने का सपना लिए एग्जाम की तैयारी करने देश की राजधानी में चली जाती हूं ,
जहां एजुकेशन के नाम पर वसूली का धंधा चल रहा होता हैं
वहां एक दिन लाईब्रेरी में पढ़ते पढ़ते मेरी और मेरे जैसे बहुत से एस्पिरेंट्स की जाने सिर्फ सिस्टम की लापरवाही की वजह से चली जाती हैं ,
मेरी आत्मा की शांति की प्रार्थना के लिए कई लोग आते तो हैं पर वो बस मेरी मौत के जरिए राजनीति करने आए थे
कोई किस सरकार को तो कोई किसी लेफ्ट विंग राईट विंग को दोषी ठहरा रहा था ,
पर कोई हमारी मौत की ज़िम्मेदारी नहीं लेना चाह रहा था ,
मैंने दिखा मेरा देश राजनीति सियासत मंदिर माजिस्द में कहीं रुक सा गया था
मैं जब अपने घर से निकली तो मेरी जान पर इतना सब खतरा था
और मेरी जान की कीमत पर blame game का शोर था //
– इशिका राजपूत
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