“Golden swan/सुनहरे हंस…”

07/07/2021 से 09/07/2021 की प्रतियोगिता का विषय हैn“Golden swan/सुनहरे हंस…” । हमसे जुड़े हुए प्रतिभावान कवियों के कविताओं को पढ़िए । प्रेम, डर, और अंधकार ऐसे कई मायने होंगे जो कवियों के दिल को भावुक रखते है । ऐसी भावुकता का हम आदर करते है और उनकी भावनाओं को निपुण बनाना ही संकल्प है हमारा । हम हर रोज किसी न किसी विषय पर अपने व्हाट्सएप्प ग्रुप में Daily Challenge प्रतियोगिता के माध्यम से लेखकों तथा कवियों को उनकी बातों को कलम तक आने का मौका देते है । और जो सबसे अच्छा लिखते हैं । आप उनकी लेख इस पेज पर पढ़ रहे है|

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First

सुनेहरा हंस

  "प्रणाम महाराज!!" बड़े मिठे स्वर में ये शब्द सुनकर, तालाब के किनारे, बर्गद के नीचे ध्यानमग्न साधु ध्यान से बहार आए और अपनी आंखें खोली। उनके समक्ष एक सुनेहरा हंस बड़े विनम्र भाव से खड़ा था। साधु के मुख से आशीर्वचन सहज ही निकल गए। फिर हंस को कुछ असमंजस में देख उन्होंने हंस से पूछा "कोई कष्ट है तुम्हें?"
  अपने मन की व्यथा, ज्ञानी साधु समझ गए हैं ये जानकर हंस की श्रद्धा साधु पर और बढ़ गई। उसकी समस्या का निवारण साधु कर देंगे, इस यकीन के साथ उसने अपनी समस्या साधु को बताई।
 "महारज !! मेरा परममित्र कौआ है। यूं तो वो एक उत्तम प्राणी है पर उसे मृत जीवों के शव खाने की बुरी आदत है। मै उसे कई बार मोटी देता हूं खाने के लिए पर उसे वो पसंद ही नहीं आते। उसे तो शव, कीड़े इत्यादि शुद्र चीजें ही पसंद आतीं हैं। आप कृपा करके मुझे उसको समझाने का कोई तरीका बताएं।
  साधु ने कुछ मनन के पश्चात हंस से कहा "तुम अगर कौआ बनकर उसे समझोगे तो वो समझ जाएगा। अगर तुम कहो तो एक दिन के लिए मैं तुम्हे कौआ बना सकता हूं।"
 "अपने परममित्र की भलाई हेतु मैं कुछ भी कर सकता हूं। आप मुझे एक दिन के लिए कौआ बना दें।" साधु ने " तथास्त " कहा और हंस कौआ बनकर अपने मित्र को समझने के लिए उड़ गया।
  दूसरे दिन हंस, जो अब फिर से हंस बन गया था, को साधु के समक्ष उपस्थित हुआ, इस बार व्यथा और भी अधिक थी।
  साधु ने पूछा "तुमने अपने मित्र को समझाया?" हंस बोला "महाराज!! जैसे ही मै कौआ बनकर अपने मित्र के पास पहुंचा तो देखा वो एक मरा हुआ चूहा खा रहा था। उसने मुझे भी चूहा खाने को आमंत्रित किया और मेरा मन भी चूहा खाने को किया और मैंने बड़े चाव से चूहा खाया। कल पूरे दिन मुझे मोती खाने की रुचि ही नही हुई। पूरे दिन मै अपने मित्र के साथ शव ही खोज खोज कर खाता रहा।"
   साधु ने हंस की बात को बीच मे ही काटते हुए कहा "ऐसा इसलिए हुआ कि कल तुम कौए थे, तो तुम्हारी रुचि भी कौए जैसी ही थी। सृष्टि ने जिसे जैसा बनाया है उसकी रुचि, उसके विचार वैसे ही होंगे। जो जैसा है, वैसा उसे स्वीकार करो। दूसरों को बदलने की चेस्टा वर्थ है।"
 हंस ने, ये समझ देने के लिए साधु के प्रति कृतज्ञ भाव व्यक्त करते हुए उन्हें वंदन किया और उड़ गया।

Name : – Hemant Sangoi
( Sherwin )

Instagram :- hemant_sangoi

Second

  • सुनहरे हंस *

राजा चित्रसेन बंगाल के राजा थे और उनका राज्य उनके शासन के साथ-साथ उनके स्वर्ण सरोवर के लिए भी विख्यात था जहाँ दो स्वर्ण
हंसों का जोड़ा रहता था जो एक दूसरे
से बेइंतिहा प्रेम करते थे।आस -पास के राज्यों से भी लोग इन हंसों को देखने आते थे। राजा चित्रसेन को ये
सुनहरे हंसों का जोड़ा बहुत प्रिय था।
इन हंसों के जोड़े को देख ऐसा लगता
था मानों प्यार करना सीखना है तो
इनसे सीखनी चाहिए। राजा चित्रसेन के राज्य के समीप एक शिकारी रहता
था

उसे इन सुनहरे हंसों के बारे में पता चला तो उसने सोचा क्यों न इन्हें
चूरा लिया जाए और विदेश में बेच दिया जाए इससे अच्छी कमाई हो जाऐगी भारत में यह सुनहरे हंस बस राजा चित्रसेन के स्वर्ण सरोवर में मिलता था ।नवरात्रि का समय था सभी पूजा कार्य में व्यस्त थे तभी यह
शिकारी आया और इन सुनहरे हंसों के जोड़े में से एक हंस को चुरा लिया।
जब राजा चित्रसेन स्वर्ण सरोवर पहुँचे
तो देखा दूसरा हंस घायल पड़ा था उसे उपचार हेतु ले जाया गया।

उधर
शिकारी ने जिस हंस को ले गया था उसने खाना पीना सब छोड़ दिया था
उसकी तड़प को देख शिकारी भी व्याकुल हो गया और उसने सोचा चाहे जो हो जाए मुझे राजा जो भी सजा दे मैं इन हंसों के जोड़े को फ़िर से मिला कर रहूंगा। वह उस सुनहरे हंस को लेकर राजा के दरबार में पहुंचा लेकिन देर हो चुकी थी दोनों सुनहरे हंसों के जोड़े ने दम तोड़ दिया
उन्हें एक दूसरे से बिछड़ने का गम सहन नहीं हो पाया । प्रेम मनुष्य का हो या सुनहरे हंस का प्रेम में दूरी अवसाद पैदा कर देती हैं जो कभी-कभी बरदास्त नहीं हो पाता।
Sweta Roy
Insta ID-roys17924

Third

पहाड़ी की निचली घाटी में एक तालाब था उस तालाब में दो सुनहरी हंसों का जोड़ा रहता था दोनों एक दूसरे से बहुत प्रेम करते थे एक दिन सुनहरे हंसिन ने अपने प्रेमी सुनहरे हंस से कहती है किसी दिन तुम मुझे छोड़कर चले जाओगे, और मैं अकेली हो जाऊंगी!
तब सुनहरा हंस कहता है जब मैं तुम्हें छोड़ कर जाऊंगा तब मुझे पकड़ लेना सुनहरी बोलती है कि तुम्हें पकड़ तो लूंगी मगर ,तुम्हें पा नहीं सकूंगी!


जब यह लफ्ज़ सुनहरा हंस सुनता है तो उसकी आंखों में आंसू आ जाते हैं फिर क्या था? सुनहरा हंस अपने प्रेम को प्रकट करने के लिए अपना दोनों पंख काट देता है! और कहता है कि मैं तुम्हें छोड़कर कहीं नहीं जाऊंगा!
अब दोनों उस तालाब में अपना जीवन खुशी से बिताने लगे…

सुनहरे हंस को क्या मालूम कि उसके जीवन में कुछ ऐसा होने वाला है जिसके बारे में वह सोच ही नहीं सकता है? कुछ समय बीतता है..!
अचानक चारों दिशाओं में काले बादल और आंधी तूफान उसके जीवन को अंधेरा करते हुए उसके आशियाने के तरफ आ रहे थे सभी तालाब में रहने वाले पक्षी इधर उधर भागने लगते हैं! सुनहरी हंसिनी भी डर जाती है और हम सोचे बोलती है कि मैं भी इनके साथ चली जाऊं?
सुनहरा हंस कर भी क्या सकता था? उसने जाने के लिए कह दिया! सुनहरी हंसिनी हंस की ना परवाह करते हुए चली जाती है! जब आंधी का कहर शांत होता है! तब सुनहरी हंसिनी वापस आती है और क्या देखती है कि उसका प्रेमी सुनहरा हंस मर चुका है! और एक तरफ तालाब के पास रेत पर लिखा था कि,!
काश तुम जाने से पहले यह कह दी होती कि मैं नहीं जाऊंगी मैं भी तुम्हारे साथ यही रहूंगी तो तूफान आने के पहले मैं नहीं मैं नहीं मरा होता…..!

Avantika Dubey
avantika. dubey. 58910

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