26/08/2024 की प्रतियोगिता का विषय है “Krishna” हमसे जुड़े हुए प्रतिभावान कवियों के कविताओं को पढ़िए । प्रेम, डर, और अंधकार ऐसे कई मायने होंगे जो कवियों के दिल को भावुक रखते है । ऐसी भावुकता का हम आदर करते है और उनकी भावनाओं को निपुण बनाना ही संकल्प है हमारा । हम हर रोज किसी न किसी विषय पर अपने व्हाट्सएप्प ग्रुप में Daily Challenge प्रतियोगिता के माध्यम से लेखकों तथा कवियों को उनकी बातों को कलम तक आने का मौका देते है । और जो सबसे अच्छा लिखते हैं । आप उनकी लेख इस पेज पर पढ़ रहे है
The theme of the competition for 26/08/2024 is “Krishna”. Read the poems of the talented poets associated with us. Love, fear, and darkness are the many meanings that keep the hearts of poets emotional. We respect such sentiments and it is our resolve to make their feelings adept. Every day, we give an opportunity to writers and poets to put their thoughts to pen through the Daily Challenge competition in our WhatsApp group on different Topic. And those who write best. You are reading those article on this page.
Krishna
किसी ने कहा ………………
राधाकृष्ण-सा प्रेम हमारा।
मैंने कहा……….
वो द्वापर में रोये थे,
तुम भी कलयुग में
रोना चाहते हो….?
मिलन की बात नहीं कोई उनकी
वो एक-दूजे में यूँही समाये थे…।
विरह की अग्नि में जले थे दोनो,
वो यूँही राधाकृष्ण नहीं कहाये थे।
बँसे थे कृष्णा हर किसी के हृदय में,
श्रीराधा के जीवन में वो बँस नहीं पाये थे।
प्रेम दिखा उनका जग को, मगर
मुझे बस उनकी पीड़ा नजर आयी थी।
विरह की अग्नि में जले थे दोनो,
वो यूँही राधाकृष्ण नहीं कहाये थे।
– नैन्सी रजक
कान्हा की कहानी है
जीवन में बीछड़ गया सब
मीठी मुस्कान से दिल जीत लिया
आँखों में भोलापन दिल में शैतानी है…
खुद करता रहा शैतानी
पर बुराई के लिए आवाज़ उठाई है
देखें नहीं कोई रिश्ते – नाते
जिसने की बुराई उसने मुँह की खाई है…
प्रेम किया सब से
पर राधा तो दिल की रानी है
जब याद आए राधा की
राधा के लिए बांसुरी बजाई है….
उनके जीवन से सीख हमें मिलती है
परिस्थिति चाहें कुछ भी हो
मुस्कान हमारी है…
उनके जन्मदिन पर
आप सभी को बधाई है
इसलिए आज खूब मिठाई खानी है ।।🍥🍰😁🥞💐
©®Malwinder
Mmmmalwinder✍️
कान्हा
=====
पनघट घट लेके जात रही राधा रानी
कान्हा जी भी ग्वालों संग पीछे-पीछे जात है
मोर पंख माथे धर कमर सोहे पटका
मुरली की धुन पे वो सबको रिझात है
नटखट लाला वो छुपावत है अंशुक (कपड़े)
गोपियों के माखन भी शान से चुरात है
जग को सिखावे प्रेम रूप धर राधा संग
ब्रज रज हरि वहीं रास भी रचात है
जग को सिखावे प्रेम रूप धर राधा संग
ब्रज रज हरि वहीं रास भी रचात है
Saritta Garii
Insta I’d- sariita_writes017
Kali is Krishna, Krishna is Kali
In silent surroundings
When suddenly,
Kali is in front of your eyes
Your voice gets choked with fear and delight while
You try to call your father, sleeping beside
I am afraid of what will happen to you and your tribe!
Hypothetically assumed
Sleeping next to your loved one
Gives you feelings of security
So you relax, and
Drift off in no time
However, this time, the case seems different from the usual nights
You cannot
Touch your father even once
To wake him up
Though he is beside
It seems as if he is far and wide
Gradually, your Kali vision goes out of sight, fades away completely in your mind
It melts into nothingness and makes way for the little Krishna to arrive in your life
Out of this beautiful sight
Where God blessed you
With a vision of the divine
You can find a lot of meanings
And take out the crux as the blessings of the divine
Now, you give your life a shape according to the needs of the times
Where you do not discriminate,
In between, Kali or Krishna;
And where Krishna is Kali for you, and
Kali is Krishna, throughout your life…
Bikramjit Sen
Instagram: @author_poet_bikram
बचपन से थी मूझे राधा बनने की लगन ,
मैचिंग का झुमका, मैचिंग कंगन मे उलझा रहता था मेरा मन……
धीरे धीरे उम्र चढ़ी , मैं इठलाके सब मे कान्हा ढूढ़ने लगी……
कोई मिला छलिया….कोई मिला छलावा
कोई मिला रड़छोड़ तो कोई बैरगिया……
सब मोह माया त्याग कर,
जीवन क सत्य को अपनाया……
और मेरे जीवन मे आए राम को प्रेम से गले लगाया……..
अब उम्र और चढ़ी और एक नया पड़ाव आया
आई बिटिया मेरी और मैंने यशोदा का पद पाया……..
और इस बार मैंने अपनी इस नटखट मे अपने कान्हा को पाया……
कान्हा भाव है….. कान्हा मोह है……
कान्हा त्याग हैं……. कान्हा वेराग्य है……
ये ढाई अक्षर का शब्द ही खुद मे सारा संसार है !!!!!!!
Swati Singh Delhi
राधा कृष्ण एक दिव्य भक्ति की कथा
राधा और भगवान कृष्ण का प्रेम समर्पित नश्वर और दिव्य के बीच शाश्वत दिव्य भक्ति की कथा का प्रतीक है, राधा की अपने प्रिय कृष्ण के साथ आध्यात्मिक जागृति के लिए आत्मा की लालसा है। कृष्ण और उनके कर्मों का हर पहलू गहरे रहस्यमय प्रतीकों से भरा है। उच्चतम सत्य का संकेत, भगवान कृष्ण की जीवन कहानी रोमांचक होने के साथ-साथ त्रासदी से भी भरपूर है। जब भगवान कृष्ण का जन्म होता है, तो उनके दुष्ट माँ के भाई, कंस नाम का एक राजा, राज्य के सभी पुरुष बच्चों को मारने का आदेश देता है, जो उस रात पैदा हुए थे। यह एक भविष्यवाणी के कारण था कि उन बच्चों में से एक उसके शासन को समाप्त कर देगा। हालाँकि, कृष्ण के माता-पिता को इस आसन्न आपदा के बारे में चेतावनी दी गई है, और बच्चे को सुरक्षित स्थान पर ले जाया गया । राधा और श्री कृष्ण के प्रेम की कहानी पर त्रासदी का साया था । दोनों एक साथ हो ना सके, क्योंकि भगवान कृष्ण के सामने एक महान नियति थी। जब नियत समय आया, तो भगवान कृष्ण को वृन्दावन छोड़ना पड़ा और अपने दुष्ट माँ के भाई, कंस को उखाड़ फेंकना पड़ा, और युद्धरत भाइयों, पांडवों और कौरवों के दो समूहों के बीच लड़ाई में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभानी पड़ी। जब भगवान कृष्ण को अंततः वृन्दावन छोड़ना पड़ा, तो राधा को जो अलगाव का दर्द महसूस हुआ वह लगभग असहनीय थी। जब राधा ने श्री कृष्ण से पूछा कि उसे इतना दर्द क्यों महसूस होता है, तो उन्होंने उन्हें कहा कि
उन्हें सभी प्राणियों में उन्हें देखना सीखना चाहिए, क्योंकि वह सभी के दिलों में निवास करते हैं । व्यक्तिगत आत्मा की ईश्वर से अलगाव की भावना भी इसी तरह दर्दनाक है, और इसे भक्ति की एक विशेष रूप से शक्तिशाली अभिव्यक्ति माना जाता है। लेकिन सभी प्राणियों में और एक-दूसरे में ईश्वर को देखकर उस अलगाव को दूर किया जा सकता है।जैसा कि भगवान कृष्ण भी भगवद गीता में कहते हैं, “मैं उस व्यक्ति से कभी नहीं हारता जो मुझमें सभी प्राणियों को देखता है और जो सभी प्राणियों में मुझे देखता है, न ही वह व्यक्ति कभी मुझसे हारता है”जब भी हम राधा के बारे में बात करते हैं, तो किसी भी इंसान के लिए भगवान कृष्ण के बारे में न सोचना असंभव है। यह निश्चित रूप से हमारे दिमाग पर वार करता है और हमें प्यार की शाश्वत कहानी के बारे में कम से कम एक बार सोचने के लिए मजबूर करता है। राधा और श्री कृष्ण ने एक-दूसरे के साथ शाश्वत प्रेम साझा किया। इस तथ्य के बावजूद कि उन्होंने कभी एक साथ विवाह बंधन में नहीं बंधे, उनकी एक साथ पूजा की जाती है। आजकल, आधुनिक जोड़े इन पवित्र आत्माओं की सबसे अधिक प्रशंसा करते हैं और एक-दूसरे से उनके जैसा बनने का वादा करते हैं। वे शुद्धतम बंधन, प्रेम और भावनाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। यह उनकी पवित्रता और शांति ही है जिसने उनके प्यार और देखभाल को अविस्मरणीय बना दिया है। ऐसे कई जीवन सबक हैं जो युवा जोड़े उनकी कहानी से सीख सकते हैं और अपने प्यार के बंधन को मजबूत और बेहतर बनाने के लिए इसे अपने जीवन में लागू कर सकते हैं।
-©®डॉ माया 📖
लघुदीप
सघन तिमिर में
तिरोहित कर देती है कक्ष में
नन्हीं-सी लौ लघुदीप की।
टहनी में आबद्ध प्रसुन
बिखर जाते है धरा पर
सान्ध्य बेला तक
पर असीम तक
विस्तार पाती है–
उसकी गंध।
रहता है गगन में चन्द्र
पर, ज्योत्सना ले आती है उसे
इला के नेहासिक्त अंचल तक
बाँध उसके स्निग्ध भुजपाश में।
जड़ बांस की नन्हीं-सी बासुंरी
मधुर स्वरों से
गुंजित कर देती है
अनन्त के उस पार तक।
सीमाओं से निबद्ध
महासागर बन घनश्याम
चूम लेता है—-
उतुंग गिरि-शिखरों के
स्वेत कपोलों को
छू लेता है अनन्त ऊंचाइयां
आकाश को
और चुपके से दे जाता है
श्रंगार जीवन को।
स्थिर कगार शैलजा के
नहीं पहुँच पाते कहीं भी
पर उन पर पड़े धूलकण
पहुँच जाते है जल-निधि तक।।
डॉ. पल्लवी सिंह ‘अनुमेहा’
लेखिका एवं कवयित्री
बैतूल, मप्र
” दिल में बसा है तू”
एक ही मन्नत है मेरी बस एक ही है आरजू,
जब तक जिस्म में जान है दिल में बसा रहे कान्हा तू।
तेरी बंसी की मधुर धुन मेरी जीवन बगिया महकाये,
तेरे प्यारे रूप के दर्शन मेरे सारे दुख हर जाये।
लड्डू गोपाल बन माखन मिश्री का भोग लगाओ,
अपनी शरण में ले कर प्रभु भवसागर से पार कराओ।
मन में इच्छा जागी अगले जन्म मैं गोपी बन जाऊं,
अपने प्यारे कान्हा के संग वृंदावन में रास रचाऊं।
मटकी भरी माखन से रखी है कान्हा आकर भोग लगाओ,
अपने प्यारे दर्शन देकर हम को सही राह दिखाओ।
सौ, भावना मोहन विधानी✍️
@bhavnavidhani123
कान्हा का जन्मदिन
बंसुरी की मधुर सरगम,
नटखट चंचल उसके कदम,
जी !!विष्णु जी का आठवां अवतार,
आओ मनाएं उसका जन्मदिन जमकर।
कान्हा !कान्हा! हर गली शहर में,
धूम मचती पूरे देश भर में,
हर राज्य की अपनी रीत है,
बस याद उसे करने की यही जिद है।
मथुरा और वृंदावन में है खुशी का मोहल,
और गोकुल की गलियों में उसके बचपन के खुलते पोल,
सुनाई देते हर जगह हरे कृष्ण! के गाने,
मटका फोड़कर, माखन चोर की होती ताज़ा यादें।
दुआ यही है उनसे,
ऐसे ही मनाएं जन्माष्टमी का पर्व उल्लास और उमंग से,
शांति और अमन बना रहे दुनिया में,
हर इंसान इंसानियत ना भूले दिमाग से।
Mini Shah
Krishna:
He is playful,
And loved by all playful children.
Pavithra
@club_of_dreamers
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