Picture Prompt

28/11/2024 की प्रतियोगिता का विषय है “Picture Prompt” हमसे जुड़े हुए प्रतिभावान कवियों के कविताओं को पढ़िए । प्रेम, डर, और अंधकार ऐसे कई मायने होंगे जो कवियों के दिल को भावुक रखते है । ऐसी भावुकता का हम आदर करते है और उनकी भावनाओं को निपुण बनाना ही संकल्प है हमारा । हम हर रोज किसी न किसी विषय पर अपने व्हाट्सएप्प ग्रुप में Daily Challenge प्रतियोगिता के माध्यम से लेखकों तथा कवियों को उनकी बातों को कलम तक आने का मौका देते है । और जो सबसे अच्छा लिखते हैं । आप उनकी लेख इस पेज पर पढ़ रहे है

The theme of the competition for 28/11/2024 is “Picture Prompt”. Read the poems of the talented poets associated with us. Love, fear, and darkness are the many meanings that keep the hearts of poets emotional. We respect such sentiments and it is our resolve to make their feelings adept. Every day, we give an opportunity to writers and poets to put their thoughts to pen through the Daily Challenge competition in our WhatsApp group on different Topic. And those who write best. You are reading those article on this page.

Daily Writing Challenge Managed by Dr.Shruti

Picture Prompt

बचपन की यादें भी बहुत प्यारी है

बचपन में जब खेला करते थे
रेत के घर बनाया करते थे….

खुशी उसी में ढूंढ लिया करते थे
सपनों में फिर खो जाया करते थे…

अगर तोड़ जाता था घर ,फिर रूठ जाया करते थे रोते रोते नया घर बनाने की कोशिश किया करते थे…

दूर खड़े बच्चे फिर ताड़ी बजाया करते थे
फिर हमारी बेबसी पर हँसा करते थे…

बचपन का वह खेल जीवन के अब की दुनिया
के रूप की बात याद दिलाता है…

क्यो खुश होते है लोग किसी को बिखराकर
क्या मिलता है उन्हें किसी को रुलाकर …

बचपन के घर को अगर तोड़ जाता था
तो उसे बचपना समझ हम भूल जाते है..

अगर सञ्च में कोई घर तोड़ जाए
तो वह क्यों कर जाता आखिर यही सोचा
करते है….

क्या मिलता है उन्हे यह सब करके
क्यों किसी की मुस्कान दुनिया देख नहीं सकती …

सपनों का घर मिट्टी में मिला देते है
अपने ही अपनो के दुश्मन क्यों बना देते
हैं ||
©®Malwinder kaur
Mmmmalwinder✍️

बचपन का वो रेत का घर,
सपनों का वो छोटा सा नगर।
हवा के झोंके से गिर जाता था,
फिर भी उसे सजाने का मज़ा आता था।

छोटे-छोटे हाथों से बुनते थे सपने,
हर किरदार में खुद को रखते थे अपने।
न सूरज की चिंता, न बारिश का डर,
बस दिल से प्यारा था वो रेत का घर।

आज जब यादों की धूल झटकते हैं,
वो बचपन के पल हमें फिर खटकते हैं।
कहाँ खो गए वो मासूम से दिन,
जब हर हार में भी खुशी थी छिन।

अब तो जिंदगी बड़ी हो चली है,
पर रेत का वो घर आज भी खड़ी है।
यादों के समंदर में कहीं छिपा हुआ,
वो बचपन का ख्वाब, जो कभी सजा हुआ।
__Sneha👑S.S👑
Instaid: jhiya_sneha

वो बचपन की यादें, वो बचपन का किस्सा,
छुट्टियों में मिट्टी पर अपना भी था हिस्सा।
कभी बनते थे किले, कभी उम्‍मीदों का मेला,
सपने बुनते थे हम, कैसा होगा घर का हिस्सा।

जब चलती थी हवा, या आता था रेत पर पानी,
टूट जाता था सपना, पर फिर भी बुनते थे।
बड़े होकर समझ आया, नहीं होता इतना आसान।
उस टूटे हुए घर को फिर से बनाने में,
टूट जाती है हिम्मत, झुक जाता है मन।

पर सपने फिर भी हैं आँखों में,
फिर बनेगा सपना अपना।

Dr.Drishty

ਬਚਪਨ ਦੇ ਰੰਗ
ਬਚਪਨ ਦੇ ਰੰਗ ਸੀ, ਚਮਕਦੇ ਤਾਰੇ,
ਖੇਡਾਂ ਵਿੱਚ ਗੁਮ, ਖੁਸ਼ੀ ਦੇ ਸਾਧਾਰੇ।
ਬਿਨ੍ਹਾਂ ਚਿੰਤਾ ਦੇ, ਬਿਨ੍ਹਾਂ ਗਮਾਂ ਦੇ,
ਸਭ ਕੁਝ ਸੀ ਸਾਫ਼, ਸੁਪਨਿਆਂ ਦੇ ਘਰ ਦੇ।

ਕੰਧਾਂ ’ਤੇ ਚੜ੍ਹਨਾ, ਮਿੱਟੀ ’ਚ ਖੇਡਣਾ,
ਚੰਨਣ ਦੀ ਰੌਸ਼ਨੀ ’ਚ ਤਾਰਿਆਂ ਨੂੰ ਵੇਖਣਾ।
ਮਾਂ ਦੀਆਂ ਗੱਲਾਂ, ਪਿਓ ਦਾ ਪਿਆਰ,
ਉਹ ਮੁੜ੍ਹਕੇ ਨਹੀਂ ਆਉਂਦਾ ਉਹ ਸੰਸਾਰ।

ਖੁਦ ਹੀ ਰਾਜੇ, ਖੁਦ ਹੀ ਮਹਾਰਾਜੇ,
ਬਿਨ੍ਹਾਂ ਡਰਾਂ ਦੇ ਸੱਭ ਕੁਝ ਦੇ ਨਾਲ ਸਾਜੇ।
ਕਿਤਾਬਾਂ ਵਿੱਚ ਰੰਗ, ਕਹਾਣੀਆਂ ਦਾ ਸੈਲ,
ਉਹ ਬਚਪਨ ਦੀਆਂ ਗੱਲਾਂ, ਉਹ ਸੁਹਣਾ ਮੇਲ।

ਹਵੇਂ ਵਿੱਚ ਉਡਾਰਾਂ, ਰਸੇ ਦੀਆਂ ਛਤਾਂ,
ਨਿਰੀ ਸੁਚੇਤਾ ਨਾਲ ਭਰੇ ਸੀ ਦਿਨਾਂ।
ਓ ਬਚਪਨ, ਵਾਪਸ ਆ ਕੇ ਦਿਖਾ,
ਸੌਧੀ ਜ਼ਿੰਦਗੀ ਨੂੰ ਫਿਰ ਮੀਠਾ ਬਣਾ।

✍🏻 AASHIM SHARMA
IG Aashim02

 

Comments are closed.

Scroll to Top