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Mobile-Addiction/YMPH-Daily-Writing-Challenge

02/10/2023 की प्रतियोगिता का विषय है “Mobile Addiction”। हमसे जुड़े हुए प्रतिभावान कवियों के कविताओं को पढ़िए । प्रेम, डर, और अंधकार ऐसे कई मायने होंगे जो कवियों के दिल को भावुक रखते है । ऐसी भावुकता का हम आदर करते है और उनकी भावनाओं को निपुण बनाना ही संकल्प है हमारा । हम हर रोज किसी न किसी विषय पर अपने व्हाट्सएप्प ग्रुप में Daily Challenge प्रतियोगिता के माध्यम से लेखकों तथा कवियों को उनकी बातों को कलम तक आने का मौका देते है । और जो सबसे अच्छा लिखते हैं । आप उनकी लेख इस पेज पर पढ़ रहे है

The theme of the competition for 02/10/2023 is Mobile Addiction. Read the poems of the talented poets associated with us. Love, fear, and darkness are the many meanings that keep the hearts of poets emotional. We respect such sentiments and it is our resolve to make their feelings adept. Every day, we give an opportunity to writers and poets to put their thoughts to pen through the Daily Challenge competition in our WhatsApp group on different Topic. And those who write best. You are reading those article on this page.

Mobile Addiction

It wouldn’t wrong to say that humans have become a slave of the technology. Mobile addiction is growing day by day even in infants.
With the introduction of newer and more attractive apps and mobile games people are spending more and more time on their mobile phones rather than concentrating on their real life.
People are always busy in taking pictures rather than enjoying their real moments.
Today’s generation become short tempered because of excessive use of mobile phones.
People addicted to cell phones aren’t able to concentrate on work for long.
As much as we neglect it, mobile addiction has become a big problem today.
We must help our loved ones going through this problem. We can help them by talking to them about this problem without being judgemental.

Pragya garg

मोबाइल की लत…

हर दिन देखते सपने थे,
नयनों में कई उम्मीदें थी |
सभी लोग हमारे अपने थे,
जब मिलकर साथ बैठते थे |

अब सूना हर घर का आँगन है,
खो गया सभी का बचपन है |
इस भूलभुलैया के दर्पण में,
खो गया असली अंतर्मन है |

इस दुनिया की तस्वीर में,
अपनो की कोई तस्वीर नहीं |
बच्चों को कोई संस्कार नहीं,
है बड़ों का लिहाज नहीं |

उगाता न कोई अनाज यहाँ,
खोये हैं सब रील्स बनाने में |
भूखे बैठे चाहे रोटी के बिन,
पर खत्म न हो डाटा यहाँ |

मशीन की सोशल मीडिया में,
कई मित्र अपने बनाये बैठे हैं |
जीवन की सच्ची दुनियादारी में,
अपनो को गवाए बैठे हैं |

पूँछ लो सब दुनिया वालों से,
क्या सुखी तुम अब रहते हो?
कहाँ गए वो पुराने दिन,
क्या याद उन्हें नही करते हो?

कंचन मिश्रा
शाहजहाँपुर ( उ. प्र.)

Mobile Addiction

Phone addiction is a social menace
For which nobody is doing penance
Addiction turned into distraction
mostly brings separation in relationships
it causes seclusion in families
quality time given to fleeting activities
rubbing us of enjoying intimacy
a fallacy of joy that gets us carried away
phone has replaced our bond with the environment
Technology is not supposed to be a curse
but we have changed it’s course
making it a crux
Before, it’s an object of getting work done
Now, a subject of focus for many
phone addiction is gets you into isolation
And the only solution is to be disciplined
so we can maintain our sanity
before we turn ourselves into mere objects.

© simply-segunola
IG – @simplysegunola

मोबाइल की लत…

एक जमाना था
जब हम अपनों के करीब बस यादों से होते थे
जब आती थी याद अपनों की
आंखें बंद कर सपनों में खोते थे
बस यू ही हम खुश होते थे…
फिर आया हमारे जीवन में मोबाइल
ये लाया खुशियों की स्माइल
हम अपनों के करीब आ गए
एक यंत्र में सारी खुशियां पा गए
जब आती अब हमें याद
हम कर लेते अपनो से बात
अब हम यादों में ना खोते
अब बस अपनो संग हो लेते
फिर आया दौर चैटिंग का
जब हम बातों को कहने सुनने से ज्यादा लिखने पढ़ने लगे
देखते-देखते हमारी जज़्बात बस शब्दों में ही रहने लगे
अब ये मोबाइल हमारी ज़रुरत बन चला..
बिना इसके हो जायें हम बेचैन
मानो ये ही है हमारे दिल का चैन
पर यूं एहसास अपनेपन का दिला के
इसने छीना हमसे बहुत कुछ..
पहले वक्त ,फिर रिश्ता
और सबसे ज्यादा हमारा मानसिक चैन!!

Dr. Vandana Tiwari
IG- dr.tripathi276

Mobile addiction”

𝔹𝕖𝕚𝕟𝕘 𝕥𝕙𝕖 𝕓𝕝𝕖𝕤𝕤𝕚𝕟𝕘 𝕒𝕟𝕕 𝕥𝕙𝕖 𝕔𝕦𝕣𝕤𝕖
𝔹𝕖𝕚𝕟𝕘 𝕥𝕙𝕖 𝕓𝕖𝕤𝕥 𝕥𝕙𝕠𝕦𝕘𝕙 𝕥𝕙𝕖 𝕨𝕠𝕣𝕤𝕖
Technology has been ruling over our life exceeding the ideal limit.
‘Mobile addiction’ is a damn alarming side effect of technology.
The crucial difference between robots and human is they are devoid of emotions and we humans are full of emotions. We need the relationships and the society to be there with us. Socialising is our basic nature. However, this addiction to technology is somewhere erasing this difference and we are by default getting so much entangled in the virtual world and leaving beside the actual life that we are meant to live. We are forgetting our origin and becoming the slaves of technology.
While making it work for ourselves we are wasting us on it. That side effect should be uprooted.
𝔹𝕖 𝕥𝕖𝕔𝕙𝕟𝕚𝕔𝕒𝕝 𝕓𝕦𝕥 𝕝𝕚𝕧𝕖 𝕖𝕥𝕙𝕚𝕔𝕒𝕝

Shravani Sul

मोबाइल एडिक्शन

हक़ीक़त से दूर ख़ब्त-यार में घिरे बैठे हैं
खल्वातो में तसव्वुर ए यार में घिरे बैठे हैं

मिल जाये गर कूँचे में तो न पहचाने उसे
हम बे-लम्स गुफ्तगू ए यार में घिरे बैठे हैं

व्हाट्स-एप्प, इंस्टा, फेसबुक की दुनियां में
सद मसरूफ ए कारोबार में घिरे बैठे हैं

दोस्ती का यह अजीब मक़ाम है दोस्तो
बस बे-इज़्न ओ इक़रार में घिरे बैठे है

जो नही हम से वबिस्ता हम उन्ही के
ग़म ए मसाइल ए अम्बार में घिरे बैठे हैं

नस्ल ए नौ कर के किनारा-कशी जहाँ से
खलाओ के तहय्यूर ए वार में घिरे बैठे है

ख़ैर ओ आफ़ियत से बे-ख़बर घर दर से
अफ़वाहों के बे-रब्त संसार में घिरे बैठे हैं

लईक़ अहमद अंसारी

मोबाइल की लत

धूल में जब हम, लिपटे हुए आते थे
आकर जब मां बाबा की ड़ाट खाते थे।
अब हम आकर यूं ही, फोन चलाते रहते है
ओर फिर हम,थककर सो जाया करते है।

मां जब खाना पीछे पीछे, लेकर आती थी
हंसी हमारी सुनकर, वो खुश हो जाती थी।
अब वही मां फोन पर, रील्स चलाती है
खाना खिलाते वक्त भी,हमे दिखाती है।

हमने अब बचपन में, फोन को देखा है
धूल और मिट्टी से नाता अब तोड़ा है।
और जब हम कालेज मे आ जाते है
स्मार्ट फोन भी हमे दे दिए जाते है।

अब जब हम घर आते है
भाई बहन भी फोन चलाते है।
मां भी रील्स  देखती है,
और पापा न्यूज चलाते है।
कोई हंसी न कोई खुशी,
अब घर में होती है।
घर अब न घर सा लगता है,
जब मोबाइल फोन,जीवन बन जाता है।।

राशि जैन
Insta id- serandipity_bulbulpoetry

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