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19/08/2023 की प्रतियोगिता का कोई विषय नहीं है। हमसे जुड़े हुए प्रतिभावान कवियों के कविताओं को पढ़िए । प्रेम, डर, और अंधकार ऐसे कई मायने होंगे जो कवियों के दिल को भावुक रखते है । ऐसी भावुकता का हम आदर करते है और उनकी भावनाओं को निपुण बनाना ही संकल्प है हमारा । हम हर रोज किसी न किसी विषय पर अपने व्हाट्सएप्प ग्रुप में Daily Challenge प्रतियोगिता के माध्यम से लेखकों तथा कवियों को उनकी बातों को कलम तक आने का मौका देते है । और जो सबसे अच्छा लिखते हैं । आप उनकी लेख इस पेज पर पढ़ रहे है

MY PASSION….

MANY A TIME I THOUGHT OF WRITING
BUT FAILED TO PUT DOWN A WORD OR A LINE
THE MANNER IN WHICH YOU FIND
IN RUSKIN BOND’S WRITINGS

THEN THOUGHT OF EXPRESSING MY FEELINGS
ACHIEVEMENTS & PLEASURES
I FOUND MYSELF FAR FROM
WILLIAM SHAKESPEARE

WITH NEVER GIVE UP ATTITUDE
I STARTED AGAIN ONE DAY WITH GRATITUDE
ALAS! TO MY GREATEST DISMAY
I COULD WRITE NOT EVEN A SINGLE LINE
AS DID THOMAS GRAY

STILL, I DIDN’T GIVE UP MY PASSION TO WRITE
PICKED UP PEN & PAPER AND WENT DOWN STRAIGHT TO WRITE
NOT TO WRITE ANYTHING APING THESE POETS
BUT SOMETHING THAT I COULD RELATE

DR. SHUBHA MUKHERJEE

Sometimes It’s okay to hold Eye contact
Sometimes it’s okay to love the people who hurt you
Sometimes it’s okay to be with people who are your biggest critics
Sometimes it’s okay to have sadness and some hard times
Sometimes it’s okay to stay alone
Sometimes it’s okay to not have friends
Sometimes it’s okay to not hold hands with people who love you
Sometimes it’s okay to not love the way people want you to love them
Sometimes stop expecting that people will ever call you back
Sometimes avoid the people who don’t deserve your words and advices
Sometimes be alone because for your presence doesn’t matter at all
Sometimes let your absence be the reason of your personality
Sometimes let your results be the reflection of your silence

In the end Dont forget to
That Because of these things You are aiming to be where u were supposed to be in your life … .

Ramshaa

@Shootingshuttler1912

रिश्ता

रिश्ता कभी लोगों को नहीं बनाता,
लोग ख़ुद ही रिश्ते बनाते चले जाते हैं |

रिश्ता कोई भी हो कभी किसी को नहीं बांँधता ,
लोग ख़ुद ही रिश्तों में बँधते चले जाते हैं |

रिश्ता जरूरतों से नहीं अहसासों से बनाया जाता है,
इसे समझौतों से नहीं अपितु प्रेम से निभाया जाता है…..||

Neha Tripathi

स्वर्णिम स्वप्र
माँ की कोख से ।।
माँ की गोद तक ।।
स्वर्णिम स्वप्र देखे मैने ।।
अधिन्यारी रात्रि से ।।
उजयारी भोर तक ।।

बाबा के कंधो से …
लड़खड़ाते कदमो तक ।
स्वर्णिम स्वप्र देखे मैने
मेरे होने की आहाट से ….
बाबा की परछाई तक ।

दादू के लाड़ से …
और दादी की लोरी तक …
स्वर्णिम स्वप्र देखे मैने ….
कोदे की रोटी से …
दूध भात तक ….

भाई बहनो के प्यार से
उनके संग लड़ाई झगड़ो तक
स्वर्णिम स्वप्र देखे मैने
भाई बहनो के स्नेह से
उनके रूठने मानने तक ।

—-Unknown

साथ तेरा निभाने में,
दुनियाँ को भुलाये बैठा हूँ…

किरदार और भी थे कहानी में क्या?,
या मैं ही सबको भुलाये बैठा हूँ…

कोई और क्यों याद नहीं करता मुझको,
क्या बेकार ही ये उम्मीद लगाए बैठा हूँ…

लिखता हूँ, पढ़ता हूँ, और सुन लेता हूँ,
खुद ही और आवाज़ों से क्यों महरूम बैठा हूँ…

Sid

नज़र में दूर तक गुल की कतारें आ गयीं देखो
बस उसकी याद आने से बहारें आ गयीं देखो

मेरे अन्दर की जब से बुज़दिली की सांस टूटी है
मेरी तलवार में खुद तेज़ धारें आ गयीं देखो

ग़रीबी प्यास से तड़पे तो क़तरे भी नहीं हासिल
अमीरी को समंदर से पुकारें आ गयीं देखो

अमां निकलो भी अब इमानदारी के झमेलों से
मुहल्ले में कई लोगों की कारें आ गयीं देखो
Ishrat Khan Pratapgarhi