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Anger/YMPH-Daily-Writing-Challenge

18/08/2023 की प्रतियोगिता का विषय है “Anger”। हमसे जुड़े हुए प्रतिभावान कवियों के कविताओं को पढ़िए । प्रेम, डर, और अंधकार ऐसे कई मायने होंगे जो कवियों के दिल को भावुक रखते है । ऐसी भावुकता का हम आदर करते है और उनकी भावनाओं को निपुण बनाना ही संकल्प है हमारा । हम हर रोज किसी न किसी विषय पर अपने व्हाट्सएप्प ग्रुप में Daily Challenge प्रतियोगिता के माध्यम से लेखकों तथा कवियों को उनकी बातों को कलम तक आने का मौका देते है । और जो सबसे अच्छा लिखते हैं । आप उनकी लेख इस पेज पर पढ़ रहे है

Anger

बहुत कुछ सिखाया परवरिश में
पर क्रोध में नियंत्रण करना ना सिखाया
वो तो जैसे मर्दों का अधिकार बनाया।
कभी मां पर कभी बहन पर दिखाया जाता
जब पत्नी आ जाए तो उसको भी न बक्शा जाता।
इसको गलत क्यूं ना बताया।
अपना है अधिकार है समझाया जाता
इसलिए तुम पर गुस्सा दिखाया जाता।
ऐसा कहकर गुस्से को उसके बढ़ाया जाता।
गुस्सा तो इंसान को राक्षस बना देता।
जो खुद का भी विनाशकारी हो जाता।
गुस्सा तो एक भाव है जो आ ही जाता
पर इस भाव को किसने चिल्लाकर
प्रकट करना सिखाया।
अपने अंदर के तूफान से औरों का
सुकून क्यों छीना।

Shilpa Bhatnagar

Anger

Cw: Implied abuse

“Does your son have any bad habits?” Her parents asked.

“Oh, he doesn’t smoke or drink! And he comes home right after work. Such a darling,” His mom gushed, caressing his cheek lovingly.

Her parents were relieved. All they wanted was for their daughter to be safe in her new home. They immediately agreed to the match.

A year later, they were just an enamored with their son-in-law. It seemed like his parents were telling the truth.

‘If only,’ she humourlessly smiled, patting foundation on her latest bruise.

She made a mental note to buy more when she saw that it was almost empty.

‘If only her parents realised that his anger was the greatest threat to her safety’.

Apoorva V

आज फिर गुस्सा किसी पे निकल रहा है
रोया तो जैसे दिल हाथों से फिसल रहा है..
क्यूं किसी से नाराज़ हूं मैं
कल था जो क्यों ना आज हूं मैं..?
रात को क्या दोष दूं दिन भी मेरा कटता नहीं
ये रौनकी सा चेहरा पहले जैसा हसता नहीं…

क्यूं मैं अपने ही गुस्से की आग में जल रहा हुं
किसी से बात करूं भी तो कैसे,
सब की आंखों में खल रहा हूं…
ना जाने मैं खुद से ये कैसा रिश्ता निभा रहा हूं
यहां नहीं चाहता था जाना वहीं तो जा रहा हूं
अब तो सारी सीमाएं ही इसने लांघ दी हैं
ज्यादा नहीं बस मेरी जान ही मांग ली है..
कुछ तो नया अब करना होगा
इसे नहीं मारा तो खुद मरना होगा..
क्यूं ना आज शुरुआत नई की जाए
इस गुस्से को एक दिशा नई दी जाए
थोड़ा हक तो इस पे अब मैं भी जता लूंगा
इस गुस्से को ही अब ताकत अपनी बना लूंगा
इस गुस्से को ही ताकत अपनी बना लूंगा

Payal Bansal
uni.qu_nature

जब होता है मुझमें काली सा क्रोध पिया
तुम शिव से निर्मल बन जाते हो पिया

मैं गुस्से वाली एक आग हू तुम शीतल से दीपक पिया
मेरा गुस्सा मुझे मारता है पर तुम्हारा प्यार मुझे जिंदगी देता है पिया

और सुनो……
गुस्सा चाहे जितना भी हो मुझमे पिया
आख़िर में तुम्हारा प्यार मेरे गुस्से को पिघला देता है पिया 😊

Jyoti meena
Insta I’d – zoyaeksukoon

द्वि- पंक्ति लेखन

1.गुस्सा ना रोका तो, बन जाएगा वह मन का नासूर,
उसे दिशा दो सृजन की, परिशोधित हो उसका रूप।

2.जब आता है क्रोध तो, उन्माद हो जाता है हावी,
वर्तमान भी होता खराब, संबंध बिगड़ जाते हैं भावी।

उर्मिला वर्मा
Instagram ID urmilaverma11

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