Picture Based Poetry Competition – Young Minds Publication

आज की प्रतियोगिता का विषय दिये गए picture पर आधारित है। इस तस्वीर को देखकर कविता या लेख का शिर्षक लिखे और उसके आधार पर रचना। Young Minds Daily Challenges में आज के विजेताओं की रचना ।


Theme of the Today’s Competition

Chitra Mishra Writeup- सूकून

वादियों से झांकती ये खामोशियां
दिल में सूकून भर देती है
कल-कल की ये आवाज़
कानों में रस घोल देती है

यादों की गठरी खोल कर
आसमां के आंचल तले
हवाओं की हल्की थपकियां
अजब सी खुशी देती हैं

अकेलापन नहीं है ये
खुद से मिलन है मेरा
सूने पड़े मेरे मन में
उम्मीदें जगा देती है

सपनों का ताना-बाना बुन
गहरी सांस भरते हुए
अन्तर्मन की प्रसन्नता
नई जान फूंक देती है।।

Chitra Mishra

Sreshta Tripathi Writeup – Self Bliss

Self-bliss

I’m happy with what I’m
I may be unacceptable or ethical,
Whether I am hopeless or have some aim
But believe me, I am understandable.

I’m happy with what I’m
I may not be very charismatic or slender,
Yet boy I can change your game
Leaving you stand still to wonder.

I’m happy with what I’m
My length is not so tall,
Which I can gracefully proclaim
Nonetheless, I am a bubbly girl.

I’m happy with what I’m
Totally in love with my coiled curls,
Born defective with stunning flame
Whichever are as valuable as pearls.

So blessed am I to have got such a family,
Who have loved me and brought me up so beautifully.

Srestha Tripathy


Sayed Parvez Writeup- खुद की तलाश

ख़ुद की तलाश में अकेले ही निकले हैं, कुछ फैसले ख़ुद लिए कुछ खुदा पर छोड़े हैं,
और अब निकल पड़े हैं के ख़ुद को पाना है हमें, दुनिया की भीड़ में ना जाने हम कहां खोए हैं,
ये पल बस हमारा है किसी और का कोई हक़ नहीं इसमें, इसीलिए ही औरों से बहुत दूर खड़े हैं,
बस ख़ुद को पहचानने की कोशिश है कि हम क्या हैं वर्ना, हमने तो दुनिया के लिए भी रूप बदले हैं,
और अब नहीं जीना किसी और के लिए हमें ये तय किया है, दूसरों की तरह नहीं जो अब तक गुलामी में ही पड़े हैं,
इश्क़ करेंगे ख़ुद से और टूट के करेंगे, आशिकों में अपना नाम अव्वल करेंगे,
हमें अपना भरोसा फिर से जीतना होगा,
समेटेंगे फिर से ज़िंदगी के सारे रंग जो बिखरे पड़े हैं…
Sayed pervez

Special Writeup Pragati Sahu – अकेलेपन का दर्द

कहने को बहुत कुछ हैं पर कोई सुनने वाला नहीं
दर्द तो बहुत हैं पर कोई मेरे संग रोने वाला नहीं !!

इंसानो की कमी नहीं पर कोई साथ मेरे रहता नहीं
बंधन तो बहुत है पर उसे बधंन को कोई समझता नहीं !!

दिल से करती थी हर आसना मैं पर उसका कोई कदर नहीं
मैंने निभाया हर रिश्ते को प्यार से पर मेरी कोई कदर नहीं !!

मुसकुरा देती हूँ हर किसी के सामने इसका मतलब तो ये नहीं कि मुझे गम नहीं
खामोश हो जाती हूँ कुछ पलों के लिए क्योंकिे मेरे पास कहने को कोई शब्द नहीं !!

दर्द क्या होता है कोई हमसे पूछो बंया करने के लिए शब्द नहीं
नज़रे झुक जाती हैं मेरी पर कोई समझता नहीं !!

जख्म तो बहुत दिए हैं पर कोई मरहम लगता नहीं
आँसू तो बहुत हैं पर कोई समझता नहीं !!

कहने को बहुत कुछ है पर कोई सुनने वाला नहीं
दुख तो बहुत है पर कोई मेरे संग रोने वाला नहीं !!!

Pragati sahu

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