02/07/2021 से 03/07/2021 की प्रतियोगिता का विषय है “नागार्जुन”। हमसे जुड़े हुए प्रतिभावान कवियों के कविताओं को पढ़िए । प्रेम, डर, और अंधकार ऐसे कई मायने होंगे जो कवियों के दिल को भावुक रखते है । ऐसी भावुकता का हम आदर करते है और उनकी भावनाओं को निपुण बनाना ही संकल्प है हमारा । हम हर रोज किसी न किसी विषय पर अपने व्हाट्सएप्प ग्रुप में Daily Challenge प्रतियोगिता के माध्यम से लेखकों तथा कवियों को उनकी बातों को कलम तक आने का मौका देते है । और जो सबसे अच्छा लिखते हैं । आप उनकी लेख इस पेज पर पढ़ रहे है
अगर आप भी एक कवि या कहानीकार है और अपनी रचना को पन्नो पर उतारना चाहते है तो हमारा व्हाट्सएप्प ग्रुप अभी जॉइन कीजिये ।
Special Write-up
नागार्जुन भारत के बेहतरीन कवियों में
से एक है। जिन्हे आज भी उनके काव्य लेखन के लिए किया जाता है।
बिहार के माटी में इनका जन्म 30जून
1911को मधुबनी जिले के सतलखा
गाँव में हुआ था। इनका नाम वैधनाथ
मिश्र था ।इन्हे मैथिली, बांग्ला, हिन्दी, संस्कृत आदि भाषाओं का ज्ञान था।
नागार्जुन कवि होने के साथ उपन्यास भी लिखा करते थे। चाहे सरकार हो या समाज या मित्र सबको उनका व्यंग्यबाण भेद डालता था।कई बार इन्हे अपनी स्पष्टवादिता और राजनीतिक कार्यकलापों के कारण जेल भी जाना पड़ा। लोकजीवन, प्रकृति, और समकालीन राजनीति उनकी रचनाओं का मुख्य विषय रहा है। नागार्जुन अपने काल के ऐसे कवि
थे जिनकी रचनाएँ ग्रामीण चौपाल से
लेकर विद्वानों की बैठक तक में समान रूप से आदर पाती है।उनकी
कविता बहुत ही जटिल से जटिल विषयों को सहज कर देता है। नागार्जुन ने छंदबद्ध और छंद मुक्त दोनों प्रकार के कविताएँ रची।पत्रहीन
, नग्न गाछ(मैथिली कविता संग्रह)के लिए उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार प्रदान किया गया।इसके अलावा मध्य प्रदेश में मैथिलीशरण गुप्त पुरस्कार तथा बिहार सरकार द्वारा राजेन्द्र प्रसाद पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। उनकी प्रमुख काव्य कृतियाँ है-युगधारा,प्यासी पथराई आँखें, तालाब की मछलियाँ, हजार-हजार बाहों वाली,है ।1935 में दीपक (मासिक )तथा 1942-43में विश्वबंधु,
पत्रिका का संपादन इन्होंने किया। अपनी मातृभाषा मैथिली में वे यात्री नाम से रचना करते थे।मैथिली में उन्होंने भाव-बोध रचना का प्रारंभ महत्त्वपूर्ण कविता संग्रह चित्र से किया। उनका निधन 5नवंबर1998को हुआ।
Comments are closed.