12/08/2023 की प्रतियोगिता का Open Theme है । हमसे जुड़े हुए प्रतिभावान कवियों के कविताओं को पढ़िए । प्रेम, डर, और अंधकार ऐसे कई मायने होंगे जो कवियों के दिल को भावुक रखते है । ऐसी भावुकता का हम आदर करते है और उनकी भावनाओं को निपुण बनाना ही संकल्प है हमारा । हम हर रोज किसी न किसी विषय पर अपने व्हाट्सएप्प ग्रुप में Daily Challenge प्रतियोगिता के माध्यम से लेखकों तथा कवियों को उनकी बातों को कलम तक आने का मौका देते है । और जो सबसे अच्छा लिखते हैं । आप उनकी लेख इस पेज पर पढ़ रहे है
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न ये फैसला बुरा है न चलन ख़राब साक़ी।
तेरे रिन्द ही करेंगे तेरा इंतखाब साक़ी।
है सवाल तिश्नगी का तो जवाब जाम है बस,
जो करूँ सवाल तुझसे, मुझे दे जवाब साक़ी।
तू जो चाहता है कम हों ये अंधेरे अंदरूनी
तो निचोड़ कर पिला दे मुझे आफ़ताब साक़ी।
तुझे फिर भी चैन कम है, मुझे था न कोई ग़म है
तुझे दस्तयाब दुनिया मुझे दस्तयाब साक़ी।
मेरे लफ्ज़ टूटे फूटे, मेरे किस्से सच्चे झूटे,
तेरे मयकदे में आकर करूँ क्या ख़िताब साक़ी।
कि जो थे कभी नशे में उन्हें होश आ रहा है,
है जुदा तेरा पिलाना है जुदा शराब साक़ी ।
वो जहान भर के रिन्दों को पिला रहे हैं इशरत
जो यहाँ से पी के निकले बने कामयाब साक़ी।
–Ishrat Khan Pratapgarhi
Spring Day
The single golden leaf
That moved along with the wind,
Saying goodbye to what was left
At that time when the whole land was brown.
With the sky the same blue
As that of sapphire,
And the ground the same green
As that of an emerald.
The newborn flowers, pink and red
Blooming for the first time,
Surrounded by the leaves
That were adamant about protecting them.
The sweet sound of children laughing
And the quiet secrets hanging in the air,
The park is filled with joy and happiness
And the promise of a lovely evening.
Spring is peeking through its blanket
Making everyone desperate,
For that time of the year
Where the world seems a little better.
-Apoorva V
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