DAILY CHALLENGE WINNER – YOUNG MINDS PUBLICATION HOUSE – “कष्ट”/Hardships – POETRY/ARTICLE

आज 1 December ,2020 के विषय की प्रतियोगिता का विषय है “कष्ट”/Hardships। इन्सान कष्ट जन्म से अपने संग तोहफे में लाया होता है । कष्ट है तभी सफलता का असली महत्व है। दर्द,पीड़ा का अनुभव व्यक्ति को सुदृढ़ बनाता है अनुभव कराता है। बाहरी पीड़ा से कहीं अधिक अंदरूनी पीड़ा कष्ट पहुंचाती है । कष्ट किसी भी तरह का हो सकता है मानसिक, व्वयहारिक, सामाजिक, आत्मिक आदि। हम हर रोज किसी न किसी विषय पर अपने व्हाट्सएप्प ग्रुप में Daily Challenge प्रतियोगिता के माध्यम से लेखकों तथा कवियों को उनकी बातों को कलम तक आने का मौका देते है । और जो सबसे अच्छा लिखते हैं । आप उनकी लेख इस पेज पर पढ़ रहे है ।

अगर आप भी एक कवि या कहानीकार है और अपनी रचना को पन्नो पर उतारना चाहते है तो हमारा व्हाट्सएप्प ग्रुप अभी जॉइन कीजिये ।



1- “कष्ट”/Hardships



कष्ट राम सा हो
या परशुराम सा
या कर्ण जैसा हस्र हो
हर कदम संघर्ष हो
एक पल न विराम हो
बिलकुल न आराम हो
कष्ट लक्ष्मी मर्दानि सा हो
या अंतहीन कहानी सा हो
घोर अंधकार हो
डर का बस प्रसार हो
दीप की तरह डटे रहो
तमस के आगे खड़े रहो
उजाला चार कदम पर है
तुम्हारी आत्म प्रकाश के दम पर है
या कष्ट अगर शिव सा हो
पीना अगर विष सा हो
सहर्ष दुःख पियो
मायुस हो कर मत जियो
दुःख का जाना तय है
सुख का आना तय है
समय की यही रीत है
हार मे भी जीत है
अंतिम कुछ बात सुनाता हूँ
मनुज धर्म याद दिलाता हूँ
कष्ट कब सहज होता है
कष्ट महज बस होता है
दरिया के पार वो होता है
जो निरंतर तैरते रहता है
कष्ट अगर जो आता है
तो निदान साथ भी लाता है
कुछ वर्षा ज़रूर होती है
पर आसमान साफ हो जाता है
मनुज वो नहीं
जो मस्तक पर हाथ धराए रहता है
मनुज वो है
जो पहाड़ चीर कर रास्ता तय करता है
Vishal
@vishal.one


2 – “कष्ट”/Hardships



हृदय का कष्ट नैनों से छलकता है मुख मौन होते हैं और अंदर कोई मुझ सा तड़पता है,
सुमिरन करती हैं आठों पहर उनका ये सांसे के मेरा जी हर क्षण उनके लिए कलपता है,
कुछ और ध्यान में नहीं होता मुझे एक उसका ही स्मरण होता है, प्रेम कष्ट देता है मगर इसका भी एक आनंद अलग होता है,
उनपर वारा सब कुछ अपना के अब तो दर्पण में भी वो झलकता है,
एक पीड़ सी उठती है जब वो मुझसे बिछड़ता है ये कैसा बंधन है के जिसमें केवल वो ही वो दिखता है,
हृदय का कष्ट नैनों से छलकता है मौन होते हैं मुख और अंदर कोई मुझ सा तड़पता है…
Sayed pervez
@sayedwrites



3- “कष्ट”/Hardships



सफलता की यात्रा में आने वाली कठिनाइयों को संभालने के लिए तैयार रहना चाहिए हैं। सफलता की सीढ़ी पर चढ़ना है तो गिरना तो पड़ेगा ही।
कष्ट नहीं है सपनो के बीच फिर सपनो को पाना मुश्किल है।तकलीफ ,पीड़ा, अप्रिय घटना ये तो सब के साथ होता है, पर थोड़े समय के लिए ही होता है।
कष्ट के बिना सपना पूरा नहीं होता ये हमारे बुजुर्गों से भी सुना था। जैसे जैसे दुनिया को जानने लगे, खुद के लिए कुछ करने की आशा, सब कुछ पा लेना चाहते हैं , इन रास्तों में बहोत रुकावट भी आती है। कुछ करने का फैसला कर ही लिया है तो बीच में आने वाले हर कष्ट को भी नष्ट करते रहना होगा। सभी लोगो को किसी ना किसी चीज से आपत्ति होती है , अपने कर्म के आधार पर चलते रहोंगे फिर कष्ट दूर होता जायेगा।

-Drashti Bhadja
@sight.words


4 – “कष्ट”/Hardships



||भ्रम||

उसने भेजा मुझको एक गीत
बोला नयन बन्द करो मनमीत
ये गीत तुम्हें दर्शाता है
तुम संग लागी ऐसी प्रीत
गीत सुन मेरा दिल हरसाया
जरिए उसके था उसने प्यार बरसाया
ना जाने कितनी दफा सुना मैंने
फिर भी न ये दिल भर पाया
शब्दों को असलियत के
धागों में पिरो रही थी
खुश होकर कल्पना मात्र से
मैं ख्वाबों में खो रही थी
के टूट गया दिल हो गए टुकड़े
जानकर उसके इतने मुखड़े
भेजा तो था मुझको वो गीत
ढोंग था उसका न थी कोई प्रीत
किसी दूजे‌ लिए वो गाया था
उसे प्यार से सुनाया था
भेज दिया था मुझको भी
झूठा प्यार दिखलाया था
गीत वही था बोल वही थे
भावनाओं में अन्तर था
दिया जिसे संग प्रीत उसी से
यहां फूंका भ्रम का मन्तर था
राधा कहता था वो मुझको
एक आत्मा दो शरीर
मैं बन बैठी हूं मीरा‌
बदल गया है उसका पीर ||

Chitra Mishra
@glimpse_of_intimacy


5- “कष्ट”/Hardships


कष्ट
ये कहानी एक ऐसी औरत की है जिसे सुनकर इतना ही कह सकते है कि ,… खुशियां बेवफा हो सकती हैं ,मगर ग़म कभी बेवफा नहीं होते….
अल्लो गांव में सबकी लाडली थी । एक छोटे से गांव में पली-बढ़ी थी । जिसके पिता बचपन में ही स्वर्ग सिधार गए थे ।वो दो बहनें और मां थीं ।बाप के जाने के बाद घर का सारा भार अल्लो पर आ गया । इस वजह से उसकी शादी भी जल्दी ही करवा दी गई । उसका पति ज्यादा पैसे वाला तो नहीं था किन्तु वह उसे बहुत प्यार करता था।अल्लो के चार बच्चे होने के बाद उसके पति का देहांत हो गया और वो अब अनाथ से विधवा में बदल गई । उसने हर कष्ट को झेलते हुए खेतों और घरों में काम कर के बच्चों को पढा़या और दो बेटियों और दोनों बेटों की शादी कर दी ।सब ठीक चल ही रहा था कि बडे़ बेटा अचानक पागल हो गया और कुछ सालों के इलाज के बाद उसका देहांत हो गया। उसकी पत्नी अपने दो बच्चों को छोड़कर चली गई । अभी अल्लो इस ग़म से निकल भी न पाई थी कि अचानक उसका छोटा बेटा भी एक सुबह दिल का दौरा पढ़ने से मर गया । अब उसके पास सिर्फ विधवा बहू और पोते पोतियों की जिम्मेदारी के सिवा कुछ न रहा । आखों से आसूं तो अब सूख ही गए ।

Shahina