Ghazal by Anupam Sharma
डरता हूं खुदसा होने में सो डर है मुझको रोने में डोने भर पाई है खुशियां पाया है छेद भी डोने में टकराना पड़ता लहरों से इक नाव को नौका होने में गर काट रहे विष इसमें क्या क्यूं ध्यान रखा ना बोने में हर तरफ से चुभ ही जाता है मुझसी ही कमी है […]
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